बीस साल की सत्ता व पुरानी रणनीति अपनाते है सीएम नीतीश : बबलू राज






नेशनल आवाज़/बक्सर :- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल अपनी प्रगति यात्रा के तहत बक्सर पहुंचे.पूरा बक्सर दुल्हन की तरह सजा हुआ था, हर सरकारी कार्यालय को रंग-रोगन कर चमका दिया गया था. ऐसा लग ही नहीं रहा था कि यह वही बक्सर है, जो रोज़ अपनी बदहाली की कहानी कहता है.लेकिन यह चकाचौंध सिर्फ़ दिखावे के लिए थी! छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक पूरी तरह मुस्तैद थे, लेकिन उनके चेहरे पर एक अनकही घबराहट थी—कहीं बिहार के सुशासन बाबू को कोई ऐसी चीज़ न दिख जाए जिससे उनकी किरकिरी हो जाए.यह उक्त बातें एआईएसएफ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह जिला प्रभारी बबलू राज ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सरकार की इस प्रगति यात्रा पर जमकर हमला बोला है.
20 साल की सत्ता और वही पुरानी रणनीति
नीतीश कुमार को बिहार की जनता लगभग 20 वर्षों से मुख्यमंत्री के रूप में देख रही है, लेकिन इस लंबे शासन में उन्होंने असल में क्या बदलाव किया, यह सवाल आज भी लोगों के मन में है. हर चुनाव से पहले कोई न कोई यात्रा लेकर जनता के बीच पहुंच जाना उनकी पुरानी रणनीति बन चुकी है. और फिर, अपने ही हाथों से अपनी पीठ थपथपा लेना—इसमें भी उन्हें महारथ हासिल है!
मुख्यमंत्री के लिए अलग बना बक्सर
जब नीतीश बाबू बक्सर पहुंचे, तो जिस रास्ते से उनकी गाड़ी गुजरनी थी, वहां लॉकडाउन जैसी स्थिति थी—सुनसान और सजी-धजी सड़कें! लेकिन जिन रास्तों पर उनकी यात्रा की कोई योजना नहीं थी, वहां जनता का हुजूम उमड़ा हुआ था. यानी, जो दृश्य दिखाना था, वही दिखाया गया, असलियत को छिपा दिया गया.हरियाली योजना की सफलता दिखाने के लिए पूरे बक्सर में पौधे लगा दिए गए. लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री का काफिला निकला, जनता ने उन पौधों को उखाड़ कर घर ले जाना शुरू कर दिया! अब सवाल उठता है—क्या ये हरियाली योजना थी या दिखावे की खेती?
अस्पताल भी दिखावे के चमकते, हकीकत में चरमराते
जब मुख्यमंत्री के आने से ही बक्सर का विकास हो सकता है, तो क्यों न उन्हें बक्सर के अस्पतालों का भी दौरा करना चाहिए था? शायद इसी बहाने वहां की बदहाली दूर हो जाती!
लोकतंत्र में जनता कैद?
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि बक्सर की जनता को मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया गया. जिस जनता ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया, वही जनता उनसे मिलने को तरस गई! अगर जनता से संवाद ही नहीं करना था, तो ये “प्रगति यात्रा” थी या “दुर्गति यात्रा”?
बिहार में बढ़ता अपराध, घटती प्रशासनिक जवाबदेही
बक्सर ही नहीं, पूरा बिहार अपराध और भ्रष्टाचार की चपेट में है. जिले के पदाधिकारी किसी की नहीं सुनते, खुद को लॉर्ड साहब समझने लगे हैं. कोई भी सरकारी विभाग बिना घूस के काम नहीं करता. स्थिति यह हो गई है कि विधायक और सांसद तक की बातों को नजरअंदाज किया जा रहा है.
शिक्षा व्यवस्था की हकीकत
मुख्यमंत्री जी अक्सर बिहार की शिक्षा व्यवस्था की तारीफ करते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि बक्सर में अभी भी कई स्कूलों में शौचालय तक नहीं हैं.माध्यमिक स्कूलों की भारी कमी के कारण लड़कियों को दूर जाकर पढ़ना पड़ता है, और उच्च शिक्षा के लिए छात्रों का पलायन जारी है.
छात्रों की आवाज़ दबाने की राजनीति
अगर कोई छात्र नेता इन मुद्दों को उठाने की कोशिश करता है, तो सरकार उसे जेल भेजने में देर नहीं लगाती.तो फिर जनता सरकार के सामने बोले भी कैसे?
प्रगति की आड़ में दुर्गति पर पर्दा
नीतीश कुमार जिस प्रगति यात्रा पर निकले हैं, क्या उन्होंने बक्सर की दुर्गति देखी? क्या उन्होंने देखा कि पुलिस प्रशासन कैसे जनता की दुर्गति कर रहा है?अगर नहीं देखा, तो बिहार की जनता इस बार चुनाव में उनकी “प्रगति” का “दुर्गति” कर देगी.फिर “सुशासन बाबू” नहीं, “दुर्गति बाबू” के नाम से जाने जाएंगे!

