किसानों के आंदोलन से थर्मल पावर प्लांट का काम हुआ प्रभावित
नेशनल आवाज़/बक्सर :- जिले के चौसा में निर्माणाधीन 1320मेगावाट थर्मल पावर प्लांट के मेन गेट के पास मंगलवार से ही डेरा जमाए प्रभावित किसान मोर्चा से जुड़े आंदोलनकारियों का आंदोलन जारी रहा. धरनास्थल पर राशन, भोजन पानी लेकर दिन रात डेरा जमाऐ हुए है. निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के गेट के पास शिफ्ट हुए किसानों के आंदोलन के चलते दुसरे निर्माण का काम प्रभावित होने लगा है. थर्मल पावर प्लांट के पास भारी संख्या में पुलिस बल तैनात के दिया गया है.
मार्केट वैल्यू के दर से चार गुणा बढ़ाकर मुआवजा देने, आरएनआर पालिसी लागू करने, नवीनगर एनटीपीसी के तहत प्रभावितों को मिल रही सुविधाएं यहाँ भी देने, सभी रैयतों को मुआवजा मिलने के बाद ही अधिग्रहण की जा रही भूमि पर कार्य करने आदि 11 सूत्री मांगों को लेकर पिछले 17अक्टूबर से प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा के बैनर तले 493 दिनों तक जारी है. परंतु प्रशासन और कंपनी के द्वारा किसानों की उक्त मांगों को लेकर अपनाई जा रही टालमटोल रवैया और रेल कॉरिडोर के लिए चिन्हित किसानों की भूमि का बगैर मुआवजा व नोटिस दिए ही जबरन पाईप बिछाने की कार्रवाई से क्षुब्ध आंदोलनकारियों ने पिछले दो दिनों से अपना धरना स्थल थर्मल पावर प्लांट के मेन गेट के पास शिफ्ट कर दिया है. आंदोलन कारियों का कहना है कि जबतक हमारी उपरोक्त मांगे लिखित तौर पर मान नहीं ली जाती तब तक अब धरनास्थल प्लांट का मुख्य गेट ही रहेगा.
बुधवार को इंटक के प्रदेश महासचिव रामप्रवेश सिंह यादव की अध्यक्षता में आयोजित किसान मजदूरों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर चौसा पॉवर प्लांट के गेट पर चल रहा आंदोलन के समर्थन में धरनास्थल पर पहुंचे किसान वक्ताओं ने कहा कि किसानों की सभी मांगे जायज है. भूमि अधिग्रहण कानून के तहत जब मार्केट वैल्यू से चार गुणा मुआवजा राशि देने का प्रावधान है तो चौसा के किसान क्यों कम मुआवजा लें. रेल वॉटर कॉरिडोर के लिए चिंहित भूमि जबतक 70फीसदी किसानों के खाते में मुआवजा की राशि आ नहीं जाती तबतक किसान अपनी जमीन नहीं छोड़ेगें. सरकारें किसानों के हित में काम नहीं कर रही. किसानों से कम रेट पर जमीन अधिग्रहण कर कारपोरेट के हाथों में बेचती जा रही है. सरकार, प्रशासन और कंपनी के उत्पीड़न के क्षुब्ध होकर STPL कंपनी के मुख्य प्लांट का गेट पर धरना दिया जा रहा है. इंटक के प्रदेश महासचिव रामप्रवेश सिंह यादव ने कहा कि STPL कंपनी ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह तानाशाही रवैया अपना रही है.
कंपनी द्वारा जो R&R policy सार्वजनिक किया गया है वो सरासर निराधार है. 30 वर्ष पूर्व गंगा पंप नहर के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का आज तक मुआवजा नही मिला. जो अभी तक रैयति किसान मुकदमा लड़ रहे है. उधर किसानों की बहुफसला, गंगा पंप नहर से सिंचित, दो स्टेट हाईवे के बीच स्थित सटे उपजाऊ कृषि भूमि, आवासीय भूमि,एवं व्यवसायिक भूमि का जबरन कब्जा करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. जिसके विरुद्ध दिनांक 17 अक्टूबर 2022 से ही शांतिपूर्ण धरना अनवरत जारी है. यहाँ के किसान पिछले एक साल से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन चला रहे है. परंतु एसटीपीएल कंपनी के पदाधिकारी एवं जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारी इमानदारी से एक बार भी आंदोलनकारी किसानों से वार्ता नहीं कर सके. अगर कोई आया भी तो केवल अपनी बातों को रखकर चला गया. आज तक किसानों की एक भी मांगों पर थोड़ा भी पहल करने का प्रयास नहीं किया गया. कंपनी में काम करने वाले मजदूरों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है. प्रभावित किसान/मजदूर/युवाओं के हित में अभी तक कोई ठोस पहल नहीं किया जाना प्रशासन और कंपनी की कुटनीतिक चाल है. जिसे यहाँ के किसान अब समझ चुके है. अब आर पार की लड़ाई प्रारंभ हो गई है. यह आंदोलन और तेज किया जायेगा.