आंदोलनकारी किसानों पर ड्रोन से बरसाए गए आंसू गैस के गोले किसानों ने कहा भारतीय इतिहास का काला दिन






नेशनल आवाज़ :- अपनी मांगों को लेकर मंगलवार को पंजाब से सैकड़ो की तादाद में चले किसानों का जत्था अंबाला में पंजाब हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर पुलिस से झड़प हुई .बॉर्डर पर सीमेंट के बैरियर और कंटीले तार लगाई गई थी. जिसे प्रदर्शनकारी किसानों ने सीमा पार करने की कोशिश की जिस दौरान सुरक्षा बलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की और इस दौरान पत्थर बाजी हुई. पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले, रबर बुलेट और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. जिसमें सुरक्षा बलो समेत कुछ लोग घायल भी हो गए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार किसानों ने बताया कि ड्रोन से भी किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए.
प्रशासन ने किसानों को रोकने के लिए यह हथकंडा अपनाया.वही किसान संगठन ने बयान जारी कर अपने सभी किसान संगठन सदस्यों से 16 फरवरी को किसानों पर बल प्रयोग करने के खिलाफ प्रदर्शन की अपील की है.किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि अब बुधवार की सुबह एक बार फिर पंजाब हरियाणा बॉर्डर पार करके हरियाणा में दाखिल होने की कोशिश की जाएगी. यह भारत के इतिहास में भारतीय राजनीति में यह काला दिन है. किसानों के जितने लीडरशिप है वह मोर्चे पर डटे रहेगी .हम हजारों किसान हैं हम उन्हें बताने जा रहे हैं कि अब अगला कार्यक्रम क्या होगा. वही दिल्ली में सिंधु ,टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता कर दी गई है. दिल्ली की सभी सीमाओं पर बैरियर लगाए गए हैं. जिस वजह से दिल्ली में भी भारी जाम की समस्या देखने को मिली है.
कोर्ट ने कहा मैत्रीपूर्ण तरीके से सुलझाएं मुद्दा
किसानों के इस आंदोलन को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई. जिसमें से एक याचिका में दिल्ली जाने के लिए बॉर्डर सील करने के खिलाफ थी. जबकि दूसरी याचिका प्रदर्शनकारियों के खिलाफ थी. हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की डिवीजन बेंच ने मैत्रीपूर्ण तरीके से मुद्दा सुलझाने के लिए कहा.
साथ ही बेंच ने राज्य सरकारों से कहा कि वह प्रदर्शनकारियों के लिए जगह चिन्हित करें. कोर्ट ने केंद्र, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. सुनाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारी भारत के नागरिक हैं और उनके पास देश में मुक्त रूप से आने जाने का अधिकार है. कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार का कर्तव्य है कि वह नागरिकों के अधिकार को सुरक्षित करें और इसकी वजह से असुविधा न हो.

