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जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो : गौतम बुद्ध
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एक अच्छी किताब सौ अच्छे दोस्तों के बराबर होती है,लेकिन एक अच्छा दोस्त पूरे पुस्तकालय के बराबर होता है ।
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अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
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सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

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क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
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देशभक्ति के सुरों से गूंजा बक्सर,वंदे मातरम के 150 वर्ष पर हुआ सामूहिक गायन

नेशनल आवाज़/बक्सर :- जिला समाहरणालय सभा कक्ष में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डीडीसी आकाश कुमार चौधरी की उपस्थिति में सामूहिक वंदे मातरम गायन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.विदित हो कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 150 साल पहले आज ही के दिन 7 नवंबर, 1875 को वंदे मातरम् लिखा था.

जिसने भारतीय जनमानस को जगा दिया, मातृभूमि को देवी का रूप देकर उसे आराधना का प्रतीक बना दिया. इन पंक्तियों ने इतिहास की दिशा मोड़ दी.संस्कृत व बंगला के मधुर संगम में रचा गया यह गीत, भारत की आत्मा का गान बन गया था.यह गीत पहली बार बंकिम चंद्र के उपन्यास आनंदमठ में प्रकाशित हुआ. संविधान सभा ने 24 जनवरी, 1950 को वंदे मातरम् को राष्ट्रीय गीत घोषित किया. डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में तय हुआ कि उपन्यास के पहले दो छंद राष्ट्रीय गीत का हिस्सा होंगे.आज सरकारी समारोहों में पहले दो छंद गाए जाते हैं.कार्यक्रम में अपर समाहर्ता , जिला भू अर्जन पदाधिकारी , विशेष कार्य पदाधिकारी , वरीय उप समाहर्ता एवं अन्य संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे.

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