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Politics

वोटबंदी’ का आदेश ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ वापस लो नारे के साथ माले ने किया बिहार बंद

नेशनल आवाज़ /बक्सर :बिहार में मतदाता सूची के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ के खिलाफ पूरा बिहार आज सड़कों पर उतरकर इसे ख़ारिज कर चूका है. ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ और मजदुर विरोधी चार नए श्रम कानूनों के खिलाफ बक्सर के सभी विपक्षी दलों और अन्य संगठनों ने ज्योति चौक पर बिहार बंद के आह्वान पर चक्का जाम किया. बंद में डुमरांव विधायक डॉ अजीत कुमार सिंह,बक्सर विधायक संजय कुमार तिवारी, राजपुर विधायक विश्वनाथ राम भी  शामिल हुए.ज्योति चौक पर भाकपा माले के डुमराँव विधायक डॉ० अजीत कुमार सिंह व जिला सचिव नवीन कुमार के नेतृत्व में भाकपा माले के नेताओं कार्यकर्ताओं ने घंटों जाम किया.

बंद को सम्बोधित करते हुए डुमराँव विधायक डॉ अजीत कुमार सिंह ने विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान को जनता के खिलाफ बताते हुए कई आपत्तियाँ उठाई हैं. उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग के तानाशाही फरमान है जो गरीबों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, प्रवासी मजदूरों को वोट देने से रोकने की साजिस है.जिसके खिलाफ आज पूरा बिहार सड़कों पर उठ खड़ा हुआ है, जो कागज लोगों के पास उपलब्ध हैं, जिससे उनका अन्य सारा काम हो रहा है जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, मनरेगा कार्ड सभी को चुनाव आयोग ने अवैध घोषित कर दिया है.

जो कागज नहीं है जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट या अन्य सरकारी दस्तावेज़ माँगा जा रहा है. बिहार जैसे राज्य में, जहाँ दस्तावेज़ीकरण की ऐतिहासिक चुनौतियाँ रही हैं, गरीब, दलित, और प्रवासी श्रमिकों के लिए इन दस्तावेज़ों को जुटाना मुश्किल है. विशेष रूप से, 2003 के बाद मतदाता सूची में शामिल लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज़ जमा करने होंगे, जो कई लोगों के लिए असंभव है.जानबूझकर मतदाता सूची से विपक्षी समर्थकों, गरीब, दलित, और अल्पसंख्यक समुदायों के नाम हटाने की साजिश है.2024 के लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई मतदाता सूची को सही माना गया था.फिर अचानक इसे अवैध कैसे घोषित कर सकतें हैं . बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में कई लोग अपने दस्तावेज़ खो चुके हैं, जिससे उनके लिए इस प्रक्रिया में भाग लेना और भी मुश्किल है .

यह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लागू करने का एक गुप्त प्रयास है, जो अल्पसंख्यकों और गरीबों को निशाना बना रहा है . इतने कम समय में 7.75 करोड़ मतदाताओं की जाँच असंभव है .

वक्ताओं ने कहा कि जाहिर तौर पर विशेष गहन पुनर्रीक्षण की धीमी प्रगति ने चुनाव आयोग को बचाव के इस तात्कालिक रास्ते के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया है . अगर 10 दिन में सिर्फ 14 प्रतिशत ही भरे फॉर्म वापस आये हैं तो चुनाव आयोग समझ सकता है कि प्रारूप के स्तर पर ही भारी संख्या में मतदाता बाहर हो जायेंगे. ‘छलावे भरी छूट’ दी जा रही है यह स्पष्ट नहीं है कि दस्तावेज जमा करने की कोई नई समय सीमा है या नहीं . इसका मतलब यह भी निकलता है कि दस्तावेज जमा न कर सकने वाले आवेदकों का मामला, अन्य उपलब्ध दस्तावेजों की स्थानीय जांच के द्वारा मतदाता पंजीकरण अधिकारी (ई आर ओ ) द्वारा निपटाया जाएगा .

हर नई घोषणा के साथ यह प्रक्रिया और अधिक अपारदर्शी व मनमानीपूर्ण होती जा रही है. इसमें किये जा रहे ‘बदलाव’ हमारी इस समझदारी की तस्दीक कर रहे हैं कि विशेष गहन पुनर्रीक्षण एक अविवेकपूर्ण व अवांछित योजना है और इस कपट भरी योजना की पूरी तरह वापसी की मांग करतें हैं .इस चक्का जाम कार्यक्रम में इंडिया गठबंधन के नेताओं के अलावा माले नेता विसर्जन राम, हरेंद्र राम, विरेन्द्र सिंह,ललन प्रसाद,जगनरायण शर्मा, ओम प्रकाश सिंह, धर्मेन्द्र सिंह यादव, खेग्रामस के सचिव नारायण दास, अध्यक्ष कन्हैया पासवान, एपवा की सचिव संध्या पाल अध्यक्ष रेखा देवी, आर वाई ए के संयोजक राजदेव सिंह, रवि रंजन सिंह,बाबूलाल राम आइसा नेता अखिलेश ठाकुर सहित माले नेता बीर बहादुर पासवान,ललन राम, भदेसर साह,मानरूप पासवान , हरिद्वार राम,अरविंद यादव, रिंकू कुरैशी, हरेंद्र पासवान सहित सैकड़ो लोग मौजूद रहे.

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