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जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो : गौतम बुद्ध
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एक अच्छी किताब सौ अच्छे दोस्तों के बराबर होती है,लेकिन एक अच्छा दोस्त पूरे पुस्तकालय के बराबर होता है ।
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अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
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सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

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क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
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खुदा के बंदों ने मुहर्रम पर मनाया मातम , प्रशासन रहा मुश्तैद

नेशनल आवाज़/बक्सर :- चौसा में मुहर्रम की दस तारीख रविवार को हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन और करबला के शहीदों को बड़े ही गमगीन माहौल में अलविदा कहा गया. हजरत इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की शहादत को याद करते हुए शहर क्षेत्र के विभिन्न इलाकों से मातमी जुलूस निकाले गए. मुस्लिम अनुनायियों ने जंजीरों से मातमपुर्सी कर या हुसैन की सदाओं के साथ ताजिया जुलूस निकाला.

प्रखंड के विभिन्न मुस्लिम बाहुल इलाको में मुस्लिम अनुनाईयों के द्वारा मुहर्रम का पर्व मातमी माहौल में मनाया गया. इस दौरान पैगम्बर साहब के नवासों इस्लाम की रक्षा के लिए कर्बला के युद्ध में दी गई शहादत पर ताजिया जुलुस निकाला गया और उनकी याद में शजदा की गई.चौसा में निकली ताजिया जुलूस नरबतपुर से चौसा बारा मोड़, चांदी मोड़, विश्वकर्मा मंदिर, दुर्गा मंदिर होते हुए चौसा बाजार तक निकाली गई.

जिसमें मुसलमानों के अलावे हिंदुओं ने भी जमकर हिस्सा लिया. ताजिया जुलूस में जगह जगह बना-बनैठी, भाला-तलवार, लाठी-डंडों से युवकों ने या-अली,या-हुसैन के मातमी नारों के बीच करतब दिखाया गया. तत्पश्चात ताजिया को चौसा के रानी गंगा घाट पर कर्बला में दफना दिया गया. इस दौरान पुलिस प्रशासन काफी चौकस रहा और ताजिया जुलूस के लिए निर्धारित  रूट पर जगह-जगह पुलिस बलों की तैनाती रही. उधर बनारपुर, चुन्नी व सरेंजा गांव में मुस्लिम अनुनाईयों के द्वारा ताजिया जूलुस निकाला गया.

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