कैसे मिलेगा न्याय ! जब न्यायालय का दुरुपयोग करेंगे काला कोर्टधारी
लालगंज जमीन विवाद में पीड़ित ने बार एसोसिएशन से की शिकायत
















नेशनल आवाज़/बक्सर :- सदर प्रखंड अंतर्गत लालगंज मौजा के खाता संख्या 141, प्लॉट संख्या 26 को लेकर एक विवाद गहराता जा रहा है. लालगंज निवासी सुदामा पहलवान और उनके पुत्र रंजीत कुमार, संजय कुमार और सुशील कुमार उर्फ छोटे पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने जबरन आलोक कुमार की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की. मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब कब्जा करने के इस प्रयास के दौरान आरोपियों ने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के समक्ष एक अधिवक्ता ने “काला कोट” की धौंस दिखाते हुए सरकारी आदेशों को न मानने का दुस्साहस किया.
पीड़ित आलोक कुमार ने आरोप लगाया है कि इस मामले में सुदामा सिंह के समधी, धनसोई थाना अंतर्गत भीखम डेरा निवासी भोला यादव, जो खुद एक अधिवक्ता हैं.इन्होंने भी प्रशासनिक कार्रवाई में विघ्न डालने का प्रयास किया. बताया गया कि उन्होंने पुलिस कर्मियों को दस्तावेज नहीं दिखाए और सरकारी आदेश के अनुपालन में बाधा उत्पन्न की.इस पूरे घटनाक्रम से व्यथित होकर आलोक कुमार ने जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बबन ओझा और महासचिव पप्पू पांडेय को लिखित शिकायत सौंपी है.
पत्र के माध्यम से उन्होंने यह सवाल उठाया है कि क्या एक अधिवक्ता का यह कर्तव्य नहीं बनता कि वह कानून का पालन कर लोगों को न्याय दिलाने में मदद करें? यदि कोई अधिवक्ता न्यायालय का नाम लेकर कानून की अवहेलना करता है, तो क्या यह आचरण विधिसम्मत है?
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बबन ओझा ने स्पष्ट रूप से कहा, “यदि कोई अधिवक्ता काला कोट पहन कर कानून की आड़ में गलत गतिविधियों में संलिप्त होता है और प्रशासनिक कार्यों में बाधा डालता है, तो यह न केवल अनुचित है, बल्कि यह विधिक मर्यादाओं का खुला उल्लंघन है.बार एसोसिएशन इसकी निंदा करता है.” वहीं महासचिव बिंदेश्वरी पांडेय ने भी कहा, “बार एसोसिएशन सदैव अपने अधिवक्ताओं के व्यक्तिगत हितों और समस्याओं के समाधान में साथ खड़ा रहता है, लेकिन यदि कोई अधिवक्ता अपनी हैसियत का गलत इस्तेमाल कर किसी अन्य नागरिक के अधिकारों का हनन करता है या कानून व्यवस्था में बाधा पहुंचाता है, तो यह न्यायोचित नहीं है और एसोसिएशन इसका समर्थन नहीं करेगा.”
इस मामले को लेकर स्थानीय स्तर पर चर्चा तेज हो गई है और लोगों में यह सवाल उठने लगा है कि क्या कानून के रक्षक ही अगर उसका उल्लंघन करने लगें, तो आम नागरिक न्याय की उम्मीद किससे करें? इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की मांग की जा रही है, ताकि अधिवक्ताओं की गरिमा बनी रहे और आमजन का कानून व्यवस्था पर विश्वास मजबूत हो.