पशुपति पारस के इस्तीफे से लोकसभा चुनाव हुआ दिलचस्प
नेशनल आवाज़ :- लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही नेताओं का पारा भी बढ़ना शुरू हो गया है.इसी बीच पशुपति पारस ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफ़े की घोषणा तब की है, जब एक दिन पहले ही बिहार में एनडीए ने लोकसभा चुनाव के लिए सीटों की साझेदारी की घोषणा की थी.
हालांकि अब लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है, ऐसे में पारस का मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना बहुत मायने नहीं रखता है. वैसे भी उन्हें इस पद से हटना ही था.पशुपति पारस के लिए सोमवार को ही बीजेपी ने संदेश दे दिया था कि उनके लिए एनडीए में अब जगह नहीं है.बीजेपी ने चिराग पासवान को एनडीए में शामिल किया है और उन्हें पाँच सीटें मिली हैं. कहा जा रहा है कि चिराग पासवान ने बीजेपी के सामने शर्त रख दी थी कि या तो उनके चाचा एनडीए में रहेंगे या वह. बीजेपी ने चिराग को साथ रखना पसंद किया और उनके चाचा को बाहर होना पड़ा.
अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान का निधन हुआ था. उनका निधन मोदी कैबिनेट में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री रहते हुए ही हुआ था.उम्मीद की जा रही थी कि रामविलास पासवान के बाद मंत्रालय चिराग पासवान को मिलेगा लेकिन बीजेपी ने पशुपति पारस को मंत्री बना दिया था.चिराग पासवान ने इसे लेकर नाराज़गी भी जताई थी. तब लोक जनशक्ति पार्टी के पास कुल छह सांसद थे और पाँच सांसदों के साथ पशुपति पारस ने पार्टी तोड़ दी थी.चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए थे लेकिन समय का पहिया घूमा और अब पशुपति पारस ही अलग-थलग पड़ गए.वहीं राजद ने भी कहा कि उनके लिए दरवाजे खुले है.ऐसे में यह चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है.