एडीजी कुंदन कृष्णन के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने किया पुतला दहन,सरकार से बर्खास्त के लिए किया मांग




नेशनल आवाज़/बक्सर :- अन्नदाता किसान को आदतन अपराधी कहना बिहार के एडीजी कुंदन कृष्णन के दिमागी दिवालियापन की पराकाष्ठा है.संयुक्त किसान मोर्चा ने गैर जिम्मेदार एडीजी कुंदन कृष्णन को बर्खास्त करने की सरकार से मांग की.कुंदन कृष्णन और नीतीश सरकार का पुतला दहन के अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा बिहार के नेता दिनेश कुमार, अशोक प्रसाद सिंह, राम प्रवेश सिंह,सत्येन्द्र सिंह,शिवजी सिंह, नंदलाल सिंह,नंद कुमार राम, शर्मा तिवारी, विजय ना राय, सुरेन्द्र सिंह, लडु यादव एवं निरंजन सिंह ने कहा कि बिहारी को बेवकूफ समझ कर झूठा सपना दिखाने नीतीश और मोदी की जोड़ी पुनः18 जुलाई को गांधी जी की कर्मभूमि किसान आंदोलन का पूज्य स्थल चंपारण की धरती मोतिहारी पहुँचे.
सुबे बिहार एवं देश के किसानों को बड़ी उम्मीद थी कि शायद मंच से बदतमीज ए डी जी कुंदन कृष्णन को बर्खास्त करने की घोषणा करेंगे.मगर अन्नदाता मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का सिर्फ जुमलेबाजी सुनकर हतप्रभ रह गए.किसानों को अपमानित करने वाले ब्यान पर दोनों ने एक शब्द भी नहीं बोले.लगता है किसानों के बारे में उनके मन में कोई सम्मान नहीं है, बल्कि घोर नफरत करते है.अन्नदाता के अपमान से उन्हें कोई गुस्सा नहीं है.प्रदेश में बढ़ते अपराध बिहार के कानून व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है. कुंदन कृष्णन के बेतुका ब्यान से न सिर्फ बिहार बल्कि संपूर्ण भारत के किसान सर्मिंदित, आहत और आक्रोशित है.कोरोना जैसे महामारी में जब दुनिया के लोग अपने घरों में दुबके हुए थे.सब कुछ बंद था.
खुद कुंदन कृष्णन भी अपने घरों में छुपे हुए थे, तब भी 140 करोड़ देशवासियों का पेट भरने के लिए अपने जान को जोखिम में डालकर किसान खेतों में दिन-रात कठिन मेहनत से अन्न,फल,सब्जी और दूध आदि का उत्पादन कर किसी को भूख से मरने नहीं दिया.इसके लिए किसानों को पुरस्कृत करने के बजाय,इस तरह से अपमानित करने वाले पुलिस पदाधिकारी को यदि अविलंब बर्खास्त नहीं किया,तो किसान अपने अपमान का बदला आने वाले चुनाव में लेंगे.बिहार में अपराध बढ़ने का मूल कारण आजादी की लड़ाई में आगे बढ़कर संघर्ष और कुर्बानी देने वाला बिहार को जानबूझकर पिछड़ा रखने की अंग्रेजी काल से चली आ रही बिहार विरोधी नीति से विकास में पिछड़े बिहार में बढ़ती बेरोजगारी,महंगाई और भ्रष्टाचार एवं सरकार की गलत नीतियों के कारण हमारे युवाओं को अपराधी बनाया जा रहा है.अपराधी किसान नहीं बल्कि पुलिस अपने संरक्षित एवं पोषित गुंडों से करवाती है.थाना पर भले लोग जाना पसंद नहीं करते.चोर,उचक्के,बालू , शराब और जमीन माफिया तथा दलालों से दिनभर थाना घिरा रहता है.
पुलिस का एक ही काम दिनभर बालू और शराब माफियाओं से मिलकर उगाही करना हो तो फिर अपराध रुकेंगे कैसे? एक सन्हा दर्ज कराने में आम लोगों को महीनों थाना का चक्कर लगाना पड़ता है. रिश्वत के बाद पुलिस पदाधिकारी का पदस्थापन होता है.बड़े पैमाने पर जाति और करोड़ों रुपए के रिश्वत के आधार पर पुलिस पदाधिकारियों का पदस्थापन होता है.कुंदन कृष्णन जैसे बदनाम और विवादास्पद अधिकारी का पदस्थापन भी जाति विशेष के आधार पर हुआ है.इस सरकार में एक- एक थाना का डाक होता है. जहाँ ज्यादा अपराध होता है,वहां की कीमत ज्यादा होती है.पुलिस प्रशासन भ्रष्टाचार,अन्याय और उत्पीड़न का पर्याय बन चुका है.भ्रष्ट अफसर,चोर नेता,दमनकारी और अन्यायी पुलिस प्रशासन के चलते अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है.
किसान तो अपने ऊपर हो रहे सारे जुल्मों-सितम शोषण, उत्पीड़न को चुपचाप दिन-रात सहते रहते हैं.हमारे कर्मचारी, पदाधिकारी, शिक्षक और पुलिस प्रशासन आदि 8 घंटा ड्यूटी करें. इसके लिए किसान हर रोज 14 से 15 घंटा विपरीत परिस्थितियों में जान को जोखिम में डाल कर बिना रुके,बिना थके काम करते हैं.उनके सामने नतमस्तक होने के बजाय,उन्हें अपमानित करना शर्म की बात है. संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे अति निंदनीय,अपमानजनक और किसानों के मान सम्मान के खिलाफ बताया. यह किसानों के त्याग तपस्या का सिर्फ घोर अपमान ही नहीं बल्कि सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश भी है.अपराधियों पर नकेल कसने के बजाय,उनका ध्यान अनर्गल ब्यान पर केंद्रित है,जो अत्यंत चिंताजनक है.किसानों को अपमानित करने के बजाय सरकार से आग्रह है कि प्रशासन अपनी प्राथमिकता स्पष्ट करें.अपने अवैध वसूली और नाकामी को छुपाने के लिए किसानों को बदनाम किया जा रहा है.
किसानों के टैक्स पर पलने वाले ये अधिकारी किसानों को ही आंख दिखा रहे हैं. किसानों पर अपराध का दोषारोपण दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है.ऐसे गैर जिम्मेदार पुलिस पदाधिकारी की योग्यता पर गंभीर सवाल खड़ा होता है. इसलिए कुंदन कृष्णन को अविलंब बर्खास्त करने की संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की.