मिथिला की सीता एक दार्शनिक राजा की बेटी है, जो अंत तक अपने चिंतन पर अडिग रही : डॉ ललन प्रसाद सिंह





नेशनल आवाज़ :- सासाराम के गौरक्षणी में सीता जानकी नवमी के अवसर पर जनक नंदिनी सीता की जयंती धूमधाम से मनाई गयी. वैशाख शुक्ल पक्ष नवमी के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम के पावन अवसर पर जनक नंदिनी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया. प्रभु श्रीराम को भी पुष्प अर्पित किए गए. इस अनुष्ठान का संचालन श्रीनारायण साधु जी ने आर्य परंपरा के अनुसार किया. उन्होंने कहा कि जनक नंदिनी सीता भारतीय संस्कृति की जन्मदात्री एवं महानतम आदर्श है.
विधि वेत्ता एडवोकेट सिंहासन सिंह उर्फ भोला जी ने कहा कि सीता योग्यतम पिता की योग्यतम पुत्री हैं, तथा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचंद्र जी के शुभ विवाह से लेकर वन गमन, अग्नि परीक्षा, वाल्मीकि आश्रम तक समर्पित रही है. हिंदी के विख्यात कवि एवं आलोचक डॉ. अमल सिंह ‘भिक्षुक’ ने कहा कि सीता का चरित्र केवल एक धार्मिक प्रतीक भर नहीं है, बल्कि भारतीय नारीत्व की शक्ति, सहनशीलता, गरिमा और मूल्यों का प्रतिबिंब है.वे हमें यह सिखाती हैं कि नारी में करुणा के साथ-साथ आत्मबल, साहस और मर्यादा भी होती है.
उनका जीवन एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत करता है, जिसे आज की सामाजिक और नैतिक चुनौतियों में भी प्रेरणा के रूप में लिया जा सकता है.इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने हिंदी के महाकाव्य सीताकुशलव रामायण पर विचार विमर्श किया. प्रणेता डॉ. ललनप्रसाद सिंह ने कहा कि मिथिला की सीता एक दार्शनिक राजा की बेटी है. इसलिए वह अंत तक अपने चिंतन पर अडिग रही है.इस अवसर पर मनोज कुमार सिंह, अरुण कुमार कुशवाहा, चंद्रभान सिंह, शशि भूषण सिंह, वैभव कुमार सिंह, गौरव कुमार सिंह, वंदना सिंह, सिंपल सिंह, डॉ विवेक कुमार के अलावा अन्य लोग उपस्थित थे.