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बिहार विधानसभा चुनाव के बाद प्रशांत किशोर किसका देंगे साथ !

नेशनल आवाज़ /बक्सर :- बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे सभी राजनीतिक दलों ने रैली एवं सभाओं का दौर शुरू कर दिया है.जिस कड़ी में बिहार बदलाव की बात को लेकर प्रशांत किशोर भी पिछले 3 सालों से जनता के बीच जाकर अपनी बात रख रहे हैं.चुनावी मैदान में आने से हर राजनीतिक दलों में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. वही प्रशांत किशोर को लेकर लोगों में यह सवाल है कि आखिर यह चुनाव बाद किसका साथ देंगे  ? 

बीबीसी पर एक इंटरव्यू के दौरान एक बार फिर उनसे ऐसा ही सवाल पूछा गया. इस सवाल पर प्रशांत किशोर ने बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि या तो वे ऊपर रहेंगे या नीचे. किसी को समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता.उन्होंने यहाँ तक कहा कि “अगर हमें 20-25 सीटें मिलती हैं, तो मैं अपने विधायकों से किसी और पार्टी से हाथ मिलाने को कहूँगा. मैं फिर से कड़ी मेहनत करूँगा और चुनाव लड़ूँगा.”

उन्होंने कहा कि पूर्ण बहुमत मिले बिना वे किसी और के साथ सरकार नहीं बनाएंगे.हम ऐसे मंत्री नहीं बनना चाहते जो किसी से भी हाथ मिला लें.त्रिशंकु सरकार की स्थिति में भी वे किसी का समर्थन नहीं करेंगे. फिर से चुनाव लड़ेंगे.”

उन्होंने यह भी कहा कि जनसुराज ने पहली बार बिहार में पलायन का मुद्दा उठाया है. पहले की सरकारें इसे अपनी तारीफ़ समझती थीं कि बिहार के लोग बिहार से बाहर काम करने जाते हैं, कि देखो बिहारी हर जगह हैं.अपनी ताकत दिखाते हैं, लेकिन यह उनकी मजबूरी है, यह अच्छी बात नहीं है. प्रशांत किशोर ने यह भी दावा किया कि इस बार नीतीश कुमार किसी भी हालत में मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे.

इससे पहले प्रशांत किशोर ने पटना में भी कहा था कि, “हम सिर्फ़ एक ही समीकरण में विश्वास करते हैं और वह है विचारधारा आधारित समीकरण. इस देश के आधे से ज़्यादा हिंदू विचारधारा के आधार पर भाजपा के साथ नहीं हैं.” जन सुराज का सूत्र “MY” सूत्र नहीं है, जन सुराज का सूत्र यह है कि गांधी, जयप्रकाश, बाबा साहेब अंबेडकर, लोहिया को विचारधारा के आधार पर मानने वाले सभी हिंदू मुसलमानों के साथ एक सामाजिक-राजनीतिक गठबंधन बनाएँ, अगर ऐसा हुआ तो हम भाजपा को बुरी तरह हरा देंगे.”अब वक्त ही बताएगा कि प्रशांत किशोर एक नई पार्टी और नई विचारधारा के साथ इन सभी बड़ी पार्टियों को कैसे मात देंगे.वह इनके जाति आधारित समीकरण को कैसे तोड़ेंगे.

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