खरपतवार नियंत्रण से फसल का बेहतर होगा उत्पादन
कृषि वैज्ञानिक डॉ राम केवल ने प्रबंधन की दी जानकारी
नेशनल आवाज़
बक्सर :- जिले के सभी गांव में धान रोपनी शत-प्रतिशत हो गया है. कृषि विभाग के तरफ से मिली जानकारी के अनुसार
मौसम के बेरुखी के बाद भी किसानों ने निजी बोरिंग एवं नहर की सिंचाई के सहारे धान रोपने का काम पूरा कर लिया है. बीच-बीच में हो रही मानसूनी वर्षा से भी किसानों को काफी लाभ मिल रहा है. धान के पौधे भी अब खेतों में पूरी तरह से लहलहा रहे हैं.
इन किसानों को जानकारी देने के लिए कृषि वैज्ञानिक डॉ रामकेवल ने खरपतवार प्रबंधन पर जानकारी देते हुए किसानों को बताया कि पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए किसान खाद एवं उर्वरक का प्रयोग समय पर करें. खाद एवं उर्वरकों की पौधों द्वारा अधिकतम उपयोग के लिए आवश्यक है खेत खरपतवार मुक्त हो. धान के खेत में मुख्य रूप से सांई घास, केन घास, मिर्ची घास, डबरा, पनखरवा इत्यादि मुख्य रूप से उग रहे हैं. जो फसल से मुख्य पोषक तत्वों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा करते हैं, तथा तेजी से पोषक तत्वों का ह्रास होता है.
इनका प्रकोप रोपाई के एक सप्ताह बाद दिखाई देने लगता है.रोपाई के 40 से 50 दिनों तक इनका प्रकोप अधिक होता है.यदि समय पर प्रबंधन नहीं किया जाता है तो 30 से 40% फसल के उत्पादन में कमी आती है.उनके प्रबंधन के लिए रोपाई के तीन दिन के अंदर प्रेटिलाक्लोर 50 ईसी नामक रसायन का 500 मिलीलीटर मात्रा को 100 लीटर पानी प्रति एकड़ में मिलाकर छिड़काव करें तथा खेत में दो से तीन इंच पानी एक सप्ताह तक लगाए रखें.
यदि छिड़काव नहीं कर पाए तो रोपाई के 20 दिन बाद जब खरपतवार तीन से चार पत्ती के हो जाए तो खेत में नमी की अवस्था में विस्पायरीबैक सोडियम 10% एससी को 100 मिली लीटर मात्रा पायराजो सलफ्यूरान इथाइल 10 %डब्ल्यू पी की 80 ग्राम मात्रा को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से पर्णीय छिड़काव करने से संकर एवं चौड़ी पत्ती के खरपतवार समाप्त हो जाते हैं, तथा 10 दिन बाद एक बार हल्की निराई हाथ से करना चाहिए.