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खेती बाड़ी : ढैंचा उगाकर खेत को बनाये उर्वर

जैविक तरीके से होगा फसल का उत्पादन ,बेहतर होगा स्वास्थ्य

नेशनल आवाज़
राजपुर :-  खेतों की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए किसान अपने खेत में ढैंचा उगाकर खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ा रहे हैं. क्षेत्र के प्रगतिशील किसान मिथिलेश पासवान इस बार अपने खेत को पूरी तरह से सेहतमंद बनाए रखने एवं उसके आवश्यक पोषक तत्वों को बरकरार रखने के लिए लगभग चार एकड़ खेत में ढैंचा को उगा दिए हैं.
जलवायु परिवर्तन के बाद मौसम में हो रहे बदलाव से खेतों में लगातार धान, गेहूं एवं अन्य फसलों को उगाने से इसकी उर्वरा शक्ति घटती जा रही है.रासायनिक खादों के असंतुलित प्रयोग से इसकी क्षमता घट गई है. साथ ही हार्वेस्टर से फसलों की कटिंग के बाद फसल अवशेष को खेतों में जलाने के बाद आवश्यक जीव नष्ट हो गए हैं. जिनको लेकर हरी खाद के रूप में धरती की सेहत को बचाने के साथ इसे जैविक बनाए रखने के लिए ढैंचा को उगाया गया हैं.
उन्होंने बताया कि भूमि में जीवांश बढ़ाने एवं स्वस्थ रखने के लिए तैयार की गई हरि खाद खेतों की शक्ति को बढ़ा देती है. इससे पैदावार में भी बढ़ोतरी हो रही है. इसके पौधे जमीन में नाइट्रोजन की पूर्ति करते हैं.
ढैंचा सस्ता हरा खाद का स्रोत है
 अप्रैल से मई महीने में गेहूं कटने के बाद या समय पर मानसून आते ही इसे खेतों में उगाकर बेहतरीन हरी खाद बनाई जा सकती है. इससे भूमि में जीवांश में बढ़ोतरी, जल संरक्षण तथा पोषक तत्व का पूर्ण एवं हरीत खाद से बचाव होता है. हरि खाद के लिए ढैंचा को बोने के 40 से 50 दिन बाद नर्म अवस्था में खेत में ही हल चलाकर एवं पटेला से दबाकर अथवा मिट्टी पलटने वाले हल से जोत कर फसल को खेत में ही दबा देना चाहिए.
खेत में कम पानी हो तो पानी लगा देना चाहिए. इससे फसल गल सड़कर  खाद में बदल जाती है.हरि खाद दबाने के 22 से 25 दिन बाद फसलों की रोपाई की जा सकती है. हरी खाद की जुताई करने के अगले दिन ही धान के पौधे को खेत में रोपनी शुरू कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर रामकेवल सिंह ने बताया कि ढैंचा की हरि खाद से फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, कैलशियम, मैग्निशियम, लोहा ,तांबा ,जस्ता, मैंगनीज आदि आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व मिलने से भूमि उपजाऊ बन जाती है. इससे भूमि की संरचना सुधरती है.

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