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भैंस के बछड़ों में संक्रामक बीमारी फैलने से 21 बछड़ों की हुई मौत

पशुपालक किसानों में बना भय

नेशनल आवाज़ /बक्सर :- जिले के राजपुर प्रखंड के कई गांव में इन दोनों फाइलेरियोसिस घातक परजीवी जनक रोग तेजी के साथ फैल गया है.यह रोग गाय भैंस के बछड़ों में अधिक तेजी से फैल रहा है.जिसमें भलुहा गांव में पशु की खरीद बिक्री करने वाले व्यवसायी बिरजा राम की 21 भैंस के बछड़ों की मौत हो गयी है. इन पशुओं की मौत के बाद पशुपालक किसानों के बीच काफी भय का माहौल बन गया है.विदित हो कि बिरजाराम कटरिया गांव के रहने वाले हैं जो पिछले कई वर्षों से पशुओं की खरीद बिक्री का काम करते हैं.

बीमार भैंस के बछड़े का इलाज करते पशु चिकित्सक

यह पिछले दो सप्ताह पूर्व उत्तर प्रदेश के कोसी कला से भैंस के बछड़ों को लाकर बेच रहे थे.जिसका बाजार मूल्य लगभग छह लाख से अधिक है. मरे हुए पशुओं का बाजार मूल्य लगभग पांच लाख तक है. पशुओं की बीमारी की सूचना पर पहुंचे प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ ओंकारनाथ भास्कर ने पशुओं का इलाज किया.फिर भी कई पशु मौत के शिकार हो गए. पशुओं की बीमारी को देख इन्होंने वरीय अधिकारियों से दिशा निर्देश की मांग किया और बचे हुए अन्य पशुओं को इस बीमार पशुओं से अलग करवाया.जिनका टीकाकरण किया गया है.

इस संबंध में  चिकित्सकों ने बताया कि यह पशुओं में थेलेरियोसिस घातक परजीवी जनक रोग है.जो बरसात के दिनों में तेजी के साथ फैलता है. आम जनों से अपील करते हुए कहा कि यह लाल रक्त कोशिकाओं में पाए जाते हैं.जिससे पशु काफी कमजोर हो जाते हैं और कम उम्र होने की वजह से पशु मौत के शिकार हो जाते हैं. समय रहते इन पशुओं का इलाज जरूरी है.इस रोग का मुख्य लक्षण है पशु में लगातार बुखार होना तथा उसकी स्केपुला के बगल वाले लिंफ नोड में सूजन हो जाए जो पशुओं के अगले एवं पिछले कूल्हों के आगे स्पष्ट बढ़े हुए आकार में नजर आते हैं.

रोग ग्रस्त पशु के शरीर में खून के कमी हो जाता है. जिससे पशु कमजोर हो जाते हैं. यह बीमारी खासतौर पर किलनी के माध्यम से पशुओं में तेजी के साथ प्रसार होता है. जिससे आर्थिक रूप से किसान कमजोर हो जाते हैं .अगर किसी भी पशु में किलनी की संख्या अधिक हो तो उसे टीकाकरण अथवा दवा का इस्तेमाल कराए.

बीमारी के बाद पशुओं की हुई मौत से प्रगतिशील किसान मिथिलेश पासवान ने बताया कि अभी तक अस्थाथी तौर पर पशु अस्पताल का निर्माण नहीं हुआ है.जिसमें समय पर पशुपालक किसानों के अनुरूप डॉक्टर भी नहीं है. जिससे किसी भी संक्रामक बीमारी की फैलते ही तेजी के साथ पशुओं की मौत हो जाती है. इन्होंने मांग किया कि शीघ्र ही पशु चिकित्सकों की संख्या बढ़ाई जाए एवं इसकी समुचित इलाज का व्यवस्था किया जाए.

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