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अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
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सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

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क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
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बजट ने किसानों को किया मायूस ,कॉरपोरेट जगत को मिलेगा बढ़ावा : अशोक

नेशनल आवाज़ :- वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए पेश आम बजट के बाद लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना शुरू कर दिया है. इस बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि बजट ने किसानों के उम्मीद पर पानी फेर दिया है. यह बजट गरीब और सीमांत किसानों के लिए एक झटका है. किसानों की समस्याओं की इस बजट में घोर उपेक्षा की गई है.

बीमा क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश की घोषणा कृषक समुदाय पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा.इस बजट से कृषि संकट का समाधान होने के बजाय पहले से घोषित नई योजना जिनका नाम राष्ट्रीय कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचा है, किसानों की परेशानियों को और बढ़ाएगी तथा उन्हें खेती से दूर कर देगी. के सी सी व्यक्तिगत ऋण सीमा को 3 से 5 लाख रुपया तक बढ़ाने के पीछे सरकार की असली मंशा है, उनके मित्र कॉरपोरेटस क्षेत्र के द्वारा महंगी लागत वाले कृषि उपयोगी चीजों की बिक्री को बनाए रखना.

इससे किसानों की ऋणग्रस्तता में वृद्धि होगी. इससे किसानों की आय नही बढ़ेगी.उर्वरक सब्सिडी 1.64 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1.67 लाख करोड़ रुपए करने से किसानों को कोई लाभ नहीं होगा बल्कि महंगाई बढ़ाने के कारण वास्तव में उसका मूल्य 1.64 लाख करोड़ रुपए से भी कम हो जाएगी. यह स्थिति कृषि और संबद्ध क्षेत्र के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपए के बदले 1.71 लाख करोड़ रूपया बढ़ाना भी वास्तव में बढा नहीं घट गया है.

लंबे काल से देश में चल रहे किसान आंदोलन की सबसे बड़ी मांग है कि स्वामीनाथन कमीशन के आधार पर C-2+ 50 के आधार पर एमएसपी की कानूनी गारंटी,किसानों की कर्ज मुक्ति,किसान हितैषी सभी फसलों का फसल बीमा,कृषि विकास के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी निवेश, बाढ़, सुखाड़ एवं जल जमाव का स्थाई निदान और सस्ते दर पर सिंचाई व्यवस्था. इस सब पर हमारा यह बजट मौन है विगत कई वर्षों से उद्वेलित किसानों को लगातार सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के बीच यह आम बजट किसानों के साथ विश्वासघात है.इन्होंने कहा की ना उम्मीद के इस बजट के खिलाफ देश भर के किसान एकजुट होकर संघर्ष के लिए सड़क पर उतरकर अपने गुस्से का इजहार बजट का पुतला जलाकर करेंगे.

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