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जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो : गौतम बुद्ध
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एक अच्छी किताब सौ अच्छे दोस्तों के बराबर होती है,लेकिन एक अच्छा दोस्त पूरे पुस्तकालय के बराबर होता है ।
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अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
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सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

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क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
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चौसा में विजया-दशमी महोत्सव प्रारंभ, रामलीला के पहले दिन हुआ नारद-मोह लीला का मंचन

नेशनल आवाज़/बक्सर :- जिले के चौसा नगर पंचायत के चौसा बाजार स्थित रामलीला मंच पर विजयादशमी महोत्सव के तहत चौसा रामलीला समिति के तत्वाधान में शुक्रवार से रामलीला प्रारंभ हो गया. जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि रामलीला समिति के संयोजक पूर्व मुखिया बृजबिहारी सिंह और पैक्स अध्यक्ष मनोज सिंह के द्वारा फीता काटकर व दीप प्रज्वलित कर किया. रामलीला के पहले दिन नारद-मोह उर्फ विश्व सुंदरी प्रसंग का मंचन किया गया.जिसमें दिखाया गया कि शादी के लिए नारद मुनि हिमालय में तपस्या करते है .तपस्या को भंग करने के लिए इंद्र व विष्णु द्वारा मायाजाल फैलाया जाता है फिर भी नारद की तपस्या भंग नहीं होती.

सुंदर स्त्री पाने के लिए नारद नरायण से अपने लिए सुंदर रूप मांगते है और नरायण उन्हें बंदर का रुप दे देते है,बंदर रुपी नारद को देख सभी देवी देवता उनका उपहास करने लगते है जिससे क्रोधित नारद नरायण को श्राप दे देते है.कामदेव पर विजय प्राप्त करने की गाथा सुनाने भगवान शिव के पास पंहुच गए.देवर्षि का अहंकार भाव देखा भोलेनाथ ने नारद को भगवान विष्णु से इसकी जानकारी देने से रोका.किन्तु, कौतूहल के वशीभूत नारद भला कहां मानने वाले थे. वह क्षीर सागर भी पहुँच गए और अपने पौरुष का यशोगान किया.

भगवान ने उन्हे बधाइयाँ दी और वहाँ से विदा किया.पर, रास्ते मे माया से एक सुंदर नगर बसा दिया जहां शील वाहन नाम के राजा का शासन था.उनकी पुत्री अत्यंत सुंदर थी. नारद को राजा ने राजमहल मे बुलाया और पुत्री का भाग्य जानना चाहा. पर, भगवान की माया के जाल मे नारद फंस गए. अंत में उनका अहंकार चूर-चूर हो गया.स्थानीय युवकों के द्वारा मंचन किये गये नारद मोह लीला को देख उपस्थित सैकड़ों दर्शक आनंद विभोर हो गदगद हो गये.इस दौरान वार्ड पार्षद चन्दन चौधरी, शैलेश कुशवाहा, गोलू कुशवाहा, रामदास गुप्ता, उदय यादव, गोरख गुप्ता, जितेंद्र चौरसिया आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे.

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