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कंबल वाले बाबा के दरबार में पहुंचे हजारों ग्रामीण, नहीं दिखा बाबा का कोई चमत्कार
बुद्धिजीवियों ने कहा अंधविश्वास में नहीं करें विश्वास






नेशनल आवाज़ /राजपुर :-प्रखंड के पिपराढ़ गांव में शनिवार को चातुर्मास यज्ञ के दौरान एक दिवसीय कंबल वाले बाबा का दिव्य दरबार का आयोजन किया गया. इस दरबार में कोई चमत्कार नहीं दिखा.इसकी खबर सुन क्षेत्र के अलावा निकट के रोहतास, कैमूर, भोजपुर, उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में लोग पहुंच गए.यज्ञ स्थल पर बनाए गए पंडाल में बैठने के लिए जगह नहीं थी. दिव्य दरबार शुरू होते ही जय घोष के साथ लोगों का ईलाज शुरू किया गया.पहले राउंड में लकवा ग्रस्त ,पोलियो ग्रस्त एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित अपाहिज लोगों का इन्होंने कंबल ओढ़ाकर इलाज शुरू किया.

यह दावा कर रहे थे कि इस कंबल के चमत्कार से लोग ठीक हो जाते हैं. अपने संबोधन में इन्होंने कहा कि मेरा नाम असली नाम गणेश गुर्जर है. चार साल की उम्र में देवी के आशीर्वाद के रूप में यह कंबल मिला है. तभी से कंबल वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गया हूं. चमत्कारी कंबल से लोगों का इलाज करते हैं. उन्होंने कहा कि जहां विज्ञान समाप्त होता है. वहां से अध्यात्म चालू होता है. यह दिव्य दरबार भी उसी की देन है.

इलाज कराने वाले लोगों ने कहा नहीं हुआ कोई असर
इस दरबार में चौसा से अपने बेटे को लेकर पहुंचे बलराम प्रसाद ने बताया कि बचपन से ही बेटे का हाथ पर काम नहीं करता है. अब बाबा ने कंबल ओढ़ाकर इलाज किया है. पूछे जाने पर की क्या अंतर है तो इन्होंने कहा कि कोई अंतर दिखाई नहीं दिया. बाबा ने कहा कि चार बार और आना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश के करहिया से अपने वृद्ध पिता को लेकर पहुंचे एक व्यक्ति ने बताया कि पिछले एक सप्ताह पूर्व इन्हें लकवा मार गया है.इनके शरीर पर अभी कोई असर नहीं है. बक्सर के सब्जी मंडी से पहुंचे चंदन शर्मा जो बैसाखी से चलकर पहुंचे थे. अपने दरबार से निकलते हुए इन्होंने बताया कि बैसाखी के सहारे आए थे उसी के सहारे लौट के जा रहे हैं. ऐसे में बाबा का चमत्कार कहे या अंधविश्वास. फिलहाल अपार भीड़ को देख लोग चमत्कार समझ रहे हैं. पढ़े लिखे बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह अंधविश्वास है. लोगों को सही डॉक्टर के पास पहुंचकर इलाज कराने की जरूरत है.
उमस भरी गर्मी में जनजीवन हुआ बेहाल
यज्ञ स्थल पर अपने इलाज के लिए पहुंचे सैकड़ो लोगों को वापस घर लौटना पड़ा. लोगों ने कहा कि बिना खाना खाए शुक्रवार की शाम से ही यहां आए हुए हैं. शनिवार की सुबह से इंतजार करने के बाद दोपहर बीत जाने पर भी नंबर नहीं मिलने पर बाबा ने सब की संतुष्टि के लिए कंबल घूमाकर ही आशीर्वचन दिया है. ऐसे में इन्हें निराशा हाथ लगी है. जलीलपुर गांव से पहुंचे बबलू कुमार एवं लालमन डेरा गांव के जोखू राम ने बताया कि यह दोनों पैर से दिव्यांग है.यह खुद ट्राई साइकिल चलाकर इस दरबार में पहुंचे हैं.
आशीर्वचन नहीं मिलने से निराश है. पेयजल के लिए भी यज्ञ समिति के तरफ से कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई थी. इतनी भारी भीड़ के बावजूद समरसेबल के सहारे महज एक या दो जगह पर पानी पीने की व्यवस्था की गई थी. लोग धूप से बचने के लिए दूर-दूर तक पगडंडियों पर लगे पेड़ों की छांव का सहारा ले रहे थे. भीषण गर्मी में बेचैनी के वजह से खुद कंबल वाले बाबा ने भी कुछ देर के लिए अपना दरबार बंद कर दिया था.