Slide
जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो : गौतम बुद्ध
Slide
एक अच्छी किताब सौ अच्छे दोस्तों के बराबर होती है,लेकिन एक अच्छा दोस्त पूरे पुस्तकालय के बराबर होता है ।
Slide
अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
Slide

सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

Slide
क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
previous arrow
next arrow
Education

छात्रों को प्रयोग से कक्षा में शिक्षण को प्रभावी बनाया जा सकता है : दुर्ग मांगे

मुंबई के ओरिएंटल कॉलेज में “इनोवेटिव टीचिंग मेथडोलॉजी एंड एक्सपेरिमेंटल लर्निंग” विषय पर सेमिनार सह कार्यशाला आयोजित

नेशनल आवाज़/बक्सर :- मुंबई स्थित ओरिएंटल कॉलेज ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च में एक दिवसीय सेमिनार सह कार्यशाला का आयोजन किया गया.कार्यशाला का विषय था  “इनोवेटिव टीचिंग मेथडोलॉजी एंड एक्सपेरिमेंटल लर्निंग : ए पाथवे टू 21st सेंचुरी एजुकेटर”.इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों एवं बी.एड. विद्यार्थियों को नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप आधुनिक शिक्षण पद्धतियों से परिचित कराना और अनुभव आधारित शिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालना था.

कार्यशाला में मुख्य वक्ता एवं संसाधन सेवी के रूप में बक्सर के दुर्ग मांगे उपाध्याय को आमंत्रित किया गया था. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान शिक्षण के आधुनिक आयामों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 21वीं सदी के शिक्षक को केवल ज्ञान प्रदान करने वाला नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के साथ सीखने की प्रक्रिया में भागीदार बनना चाहिए. नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षण को अधिक व्यावहारिक, कौशल-आधारित और रचनात्मक बनाने पर जोर दिया गया है, ताकि विद्यार्थी केवल परीक्षा उतीर्ण करने के लिए नहीं, बल्कि जीवन के लिए सीख सकें.

दुर्ग मांगे उपाध्याय ने कार्यशाला में बी.एड. प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षक को कक्षा में विद्यार्थियों की विविध समस्याओं को समझते हुए उन्हें सृजनात्मक ढंग से हल करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए. उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से यह बताया कि किस प्रकार अनुभव आधारित शिक्षण (Experimental Learning), गतिविधि आधारित शिक्षण (Activity Based Learning) और सहयोगात्मक शिक्षण (Collaborative Learning) के प्रयोग से कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाया जा सकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षण में मातृभाषा का प्रयोग विद्यार्थियों की समझ को गहरा बनाता है और सीखने की प्रक्रिया को अधिक सहज बनाता है. साथ ही, उन्होंने शिक्षण सामग्री विकास (Teaching Material Development) के महत्व पर भी विस्तार से चर्चा की. उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया कि वे अपनी रचनात्मकता का प्रयोग कर स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर शिक्षण सामग्री तैयार करें, ताकि सीखने की प्रक्रिया अधिक रोचक और प्रासंगिक बन सके.

कार्यक्रम के अंत में कॉलेज की प्राचार्य डॉ. प्रियंका उपाध्याय ने संसाधन व्यक्ति का आभार व्यक्त किया और कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं शिक्षक प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बढ़ाने में अत्यंत उपयोगी होती हैं.उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे कार्यशाला में प्राप्त ज्ञान को अपने शिक्षण अभ्यास में अवश्य लागू करें.

इस अवसर पर कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. विनायक शिंदे, प्रोफेसर अनीता यादव, मनीष, वीणा कास्बे सहित अनेक शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे. सभी ने कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान को अत्यंत उपयोगी बताया और कहा कि इस तरह के आयोजन शिक्षकों को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होते हैं.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button