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अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
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सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

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क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
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राजकीय सम्मान के साथ सीआरपीएफ जवान को दी गई अंतिम विदाई,शव यात्रा में शामिल हुए हजारों लोग

नेशनल आवाज़/बक्सर :- चौसा नगर अंतर्गत चौसा मठिया निवासी सीआरपीएफ जवान जय शंकर चौधरी, पिता रामनाथ चौधरी की ड्यूटी के दौरान करेंट की चपेट में आने से सोमवार को मौत हो गई थी. जिसका पार्थिव शरीर बुधवार की दोपहर पैतृक गांव सैनिक सम्मान के साथ सीआरपीएफ के जवान लेकर पहुंचे.

ड्यूटी के दौरान जवान की फाइल फोटो

चौसा के लाल का शव जब तिरंगे में लिपटा गांव पहुंचा तो हज़ारों की भीड़ उमड़ पड़ी परिजन दहाड़ मारकर रोने लगे. चौसा श्मशान घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.बताया जा रहा है कि जय शंकर चौधरी अपने मेहनत के बल पर देश सेवा का जज्बा लिए 2006 में सीआरपीएफ को ज्वाइन किया. अपने ड्यूटी को ईमानदारी पूर्वक निभाते हुए ढाई साल से इनकी पोस्टिंग फिलहल तेलंगाना में था.

रोटी बिलखते परिजन

जहां ड्यूटी के दौरान करेंट की चपेट में आने से मौत हो गई. जिसके शव को हवाई जहाज से हैदराबाद से पटना एयरपोर्ट पटना पहुंचा यहां से   सड़क मार्ग के रस्ते चौसा लाया गया. जय शंकर के पिता रामनाथ चौधरी की मौत पांच साल पहले ही हो चुकी है. जिसके बाद से ही माता और छोटा भाई श्याम सुंदर चौधरी की जिम्मेदारी के साथ अपने दो पुत्र दुर्गेश चौधरी (16), ऋतिक (10) , एक पुत्री स्नेहा कुमारी (14), पत्नी लीलावती देवी, की जिम्मेदारी अपने कंधो पर लेकर ढो रहे थे.

लेकिन इनके मौत से दो बेटे और एक बेटी के सर से पिता का साया उठ गया. वही माता और पत्नी लीलावती देवी का इस घटना के बाद से ही रो रो कर बुरा हाल है.सीआरपीएफ के विशेष वाहन में जब जवान का पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचा तो उनके साथ दो उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी और करीब एक दर्जन जवान भी मौजूद थे. जैसे ही गांव वालों को अपने लाल के आगमन की सूचना मिली, वैसे ही बड़ी संख्या में लोग उनके घर पर उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंच गए.

गांव की मिट्टी से जुड़ा यह जवान अब शांति की नींद सो गया, लेकिन उसके जाने की टीस हर आंख में साफ झलक रही थी. बुधवार की  दोपहर चौसा  से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई जो चौसा बाजार होते हुए मुक्ति धाम चौसा पहुंचा. अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण, समाजसेवी और स्थानीय प्रतिनिधि शामिल हुए. लोगों ने नम आंखों से अपने प्रिय जवान को अंतिम विदाई दी.

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