बुलंद हौसले ने बनाया अधिकारी ,महिलाओं का बढ़ाया सम्मान
पंकज कमल
नेशनल आवाज़ /बक्सर :- करें कोशिश तो मुश्किलें आसान बनती है.. यह सच साबित कर अन्य महिलाओं के लिए एक मिशाल पेश किया है.जिले के राजपुर प्रखंड में महिला अंचल अधिकारी डॉक्टर शोभा कुमारी.यह गया के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र गुरारू से हैं जो कभी नक्सलबाड़ी के नाम से काफी प्रचलित रहा है. जहां बंदूक की गोलियां गूंजती थी.बच्चे स्कूल जाने से डरते थे.गांव में रहकर इन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल सर्वोदय विद्यालय से पढ़ाई कर मैट्रिक की परीक्षा में टॉपर स्थान हासिल किया. जिनकी पढ़ाई से गौरवान्वित होकर घर वालों ने इनका भरपूर साथ दिया.इस पिछड़े इलाके में लड़कों को स्कूल जाना तो दूर लड़कियां घर से बाहर नहीं निकलती थी. वैसे संघर्ष भरे जीवन में उन्होंने पढ़ाई को निरंतर जारी रखा है. इनके पिता उपेंद्र राय भारतीय सेना में कार्यरत थे.
वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में इन्हें गोली लगने से एक अपना दाहिना हाथ गंवाना पड़ा. उस समय इनकी पढ़ाई में कुछ रुकावट तो आयी. फिर भी इनके पिता के साहस एवं इनके बुलंद हौसले ने पढ़ाई के प्रति बुलन्द किया और 2005 में ही पूरे परिवार सहित यह शिक्षा ग्रहण करने के लिए दिल्ली चले गए. जहां से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए करने के बाद उच्चतर पढ़ाई के लिए राजस्थान के वनस्थली विश्वविद्यालय में पढ़ाई किया.
यहां से वह इंडोनेशिया में चले गए वहां भी पढ़ाई किया.पुनः वर्ष 2012 में भारत वापस लौट कर जेएनयू से एमफिल एवं पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर वर्ष 2019 में यह फ्रांस में विज्ञान के क्षेत्र में शोध कार्य के लिए गई थी. तभी कोरोना का कहर होने से पुनः भारत वापस आ गयी. पढ़ाई का निरंतर दौर जारी होने के बाद यह कभी भी दिमाग में नहीं आया कि प्रशासनिक सेवा की तैयारी करना है. यह विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़कर शोध कार्यों में रहना चाहती थी.इससे पहले यूजीसी नेट जेआरएफ की परीक्षा में भी इन्होंने सफलता हासिल किया. इसके बाद यह पहले ही प्रयास में बीपीएससी के लिए चयन कर ली गयी.
लिखी गई किताबों से छात्र करते हैं पढ़ाई
इस पद पर रहते हुए भी इन्होंने स्वयं यूजीसी नेट की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए विशेष तौर पर किताबों की रचना की है. जिनमें से अब तक इनके द्वारा लिखित लगभग 26 किताबें हैं जो पटना सहित कई अन्य शहरों में काफी चर्चित है.उनकी लिखी गई किताबें अमेजॉन पर भी खूब बिक रही हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ने वाली अन्य महिलाओं के लिए काफी प्रेरणा के स्रोत है. इन्होंने अन्य महिलाओं को भी प्रेरित करते हुए कहा कि पढ़ाई के क्षेत्र में भी जो पढ़ रही है. उनको निरंतर आगे बढ़ने की जरूरत है.
बोझ नहीं है बेटी
प्रखंड कार्यालय में प्रखंड विकास पदाधिकारी अर्चना कुमारी ने पहले ही प्रयास में अपनी सफलता हासिल कर उन्हें पढ़ने वाली महिलाओं के लिए एक प्रेरणा के स्रोत है.यह खुद मध्यम परिवार से आती हैं. उनकी भी संघर्ष भरी कहानी है. अपने चार बहन एवं दो भाइयों के बीच रहते हुए इन्होंने संघर्षों के साथ पढ़ाई की है. उनके पिता शंकर राम स्वयं छोटी सी नौकरी ऑल इंडिया रेडियो में कार्य करते हुए इन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराया.
जिन्होंने कभी भी अपनी बेटियों को बोझ नहीं समझा. जिस तरह से आज समाज अपनी बेटियों को बोझ समझता है. इन्होंने आईना दिखाते हुए अपने बेटियों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हुए पढ़ाया.अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद यह वर्ष 2017 से 18 में दिल्ली में जाकर एक निजी कंपनी में काम कर रही थी. तभी इनके पिता ने समाज में अद्भुत योगदान के लिए एक अधिकारी के बनने के लिए प्रेरित किया. जिससे प्रेरित होकर इन्होंने पहले ही प्रयास में इस परीक्षा को पास कर सफलता को हासिल किया है.
सबसे बड़ी बात रही है कि शादी होने के बाद भी उनकी पढ़ाई में ससुराल पक्ष का काफी सहयोग रहा है. जिनमें उनके पति विकास कुमार का काफी अहम योगदान रहा है. जिन्होंने इनकी स्वतंत्रता पर एक महिला को आगे बढ़ने में मदद किया. इन्होंने महिलाओं के लिए संदेश दिया कि अगर कोई लक्ष्य को पाना चाहता है तो उसके लिए परिश्रम करें ,दृढ़ इच्छा शक्ति रखें निश्चित तौर पर व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है.
महिला जीवन संघर्ष की कहानी है
अंचल में राजस्व पदाधिकारी के पद पर कार्यरत श्रुति राज ने अपने पढ़ाई के बदौलत समाज में निरंतर आगे बढ़ने के लिए महिलाओं के लिए एक मिसाल है. खुद संघर्ष भरे जीवन में पढ़ाई कर सफलता को हासिल किया है. पढ़ाई के दौरान ही इनके अंदर सामाजिक जागृति की भावना जगी हुई थी जो अक्सर पढ़ाई के दौरान आने वाली समस्याओं को झेलते हुए आगे बढ़ने का काम किया.
उनकी शिक्षा पटना महिला कॉलेज से हुई है. पढ़ाई पूरी करने के बाद समाज में बुराइयों को दूर करने के लिए भी काफी प्रयास किया.स्वयंसेवी संस्था से जुड़कर बच्चों को पढ़ाना एवं समाज में जागृति लाने का काम किया. तभी से उनके मन में आया कि पढ़ाई कर समाज को सुधारा जा सकता है. इन्होंने अपने पहले ही प्रयास में परीक्षा को पास कर इस पद पर रहते हुए समाज को जागरुक कर रहे हैं. इन्होंने अन्य महिलाओं के लिए संदेश दिया कि परिवार के साथ अपना काम करते रहना है. महिला एक जीवन संघर्ष की कहानी है. जिनके ऊपर एक बड़ा बोझ होता है और एक बड़ी जिम्मेवारी होती है.
मेहनत से सफलता को करेंगे हासिल
प्रखंड पंचायतीराज पदाधिकारी के पद पर कार्यरत ममता कुमारी ने बताया कि संसाधनों की कमी सफलता को कोई नहीं रोक सकता है.कोई भी व्यक्ति अगर जहां भी है पढ़ाई करें तो निश्चित तौर पर सफलता हासिल कर सकता है.जिसके कई उदाहरण है. मैंने स्वयं घर पर रहकर पढ़ाई की है .पढ़ाई को निरंतर जारी रखा. जिसका बहुत ही काफी सुखद अनुभव रहा है.
इन्होंने अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश करते हुए यह साबित कर दिखाया है कि शादी के बाद भी आदमी पढ़ाई कर सकता है. इन्होंने बताया की शादी होने के बाद भी पढ़ाई को निरंतर जारी रखा. जिसमें ससुराल एवं माता-पिता का काफी सहयोग रहा है. जिनके आशीर्वचनों से ससुराल पक्ष का भी काफी सहयोग है.
जिसमें दो बच्चे एवं अन्य परिवार की जिम्मेवारियों को ढोते हुए बीपीएससी की परीक्षा पास कर इस पद को हासिल किया है. अन्य महिलाओं को भी संदेश देना चाहेंगे कि अपने पढ़ाई को निरंतर जारी रखें.समाज के लोगों से भी अपील किया कि अपने बच्चों की शादी कम उम्र में नहीं होने दे उन्हें स्वतंत्र रहकर पढ़ाई करने दे. तभी वह हर मुश्किल काम को आसान कर सकती हैं .कोई भी परीक्षा बोझ नहीं है मेहनत करने की जरूरत है.