किसानों के आंदोलन से पावर प्लांट का काम हुआ बंद घर को वापस लौट रहे मजदूर
नेशनल आवाज़/ बक्सर :- चौसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्रोजेक्ट 1320 मेगावाट से जुड़ा गतिरोध बढ़ता ही जा रहा है. प्लांट का निर्माण किसानों और कंपनी के बीच उपजे विवाद के कारण पिछले नौ दिनों से प्रभावित है. प्लांट के मुख्य गेट पर चल रहा किसानों का धरना अब स्थानीय प्रशासन के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है. काम बंद होने से धीरे धीरे श्रमिक भी लेबर कालोनियों को छोड़ गांव वापस लौट रहे है. पावर प्लांट परियोजना के लिए दो मुख्य आधार माने जाने वाले वाटर पाइपलाइन और रेलवे कॉरिडोर का निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो सका है.
इसके लिए अधिगृहित की जाने वाली जमीन के उचित मुआवजे की मांग, पूर्व में अधिग्रहण की जा चुकी 1058एकड़ भूमि के मुआवजे में हुए हेराफेरी, आरएनआर पॉलिसी, सीएसआर फंड आदि 11सूत्री मांगों को लेकर 17 माह से किसानों द्वारा शुरू किया गया अनिश्चितकालीन धरना- प्रदर्शन जारी है. मुख्य गेट पर दिन रात डटे सैकड़ों किसान मजदूरों को गेट से हटाने के लिए धरनास्थल पर प्रशासन द्वारा धारा 144 भी लागू किया गया.
फिर भी आंदोलनकारी गेट से नहीं हटने को अड़े हुए है. धरना स्थल पर शनिवार की देर शाम तक कंपनी के नए सीईओ और आंदोलनकारी किसानों के बीच घंटों वार्ता भी हुई. परंतु आंदोलनकारी अपनी मांगों को पुरा होने तक गेट से नहीं हटने की बात पर अड़े रहे. रविवार को प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा के बैनर तले प्लांट के मेन गेट के पास 518वें दिन भी आंदोलन जारी रहा.
जिसकी अध्यक्षता जयमंगल पांडेय तथा संचालन नरेन्द्र तिवारी ने किया.मौजूद वक्ताओं में इंटक के प्रदेश महासचिव रामप्रवेश सिंह यादव, अंशु चौबे, शिवजी राय, देवी राय, संजय राय, रामाशंकर चौधरी, तेतरी देवी, नन्द कुमार शर्मा, राजनारायण चौधरी, घनश्याम चौधरी, शिवमुरत राजभर, शिवदयाल सिंह, शिवजी सिंह, रामअवध सिंह यादव, जितेंद्र राय, शैलेश राय, प्यारेलाल सिंह, गोरख नाथ पांडेय, लेदा चौधरी, द्वरिका चौधरी, उपेंद्र पासवान आदि ने एक स्वर में कहा कि जब तक मांगों का समाधान नहीं हो जाता धरना स्थल मेन गेट ही रहेगा.