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जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो : गौतम बुद्ध
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एक अच्छी किताब सौ अच्छे दोस्तों के बराबर होती है,लेकिन एक अच्छा दोस्त पूरे पुस्तकालय के बराबर होता है ।
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अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
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सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

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क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
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Education

बिहार सेंट्रल स्कूल के छात्रों ने ऐतिहासिक एवं दार्शनिक स्थलों का किया भ्रमण मनोरंजन के साथ शैक्षिक गतिविधियों से हुए अवगत

नेशनल आवाज़/बक्सर :- जिले के बिहार सेंट्रल स्कूल के छात्रों का जत्था शैक्षिक परिभ्रमण के लिए रवाना हुआ.विद्यालय परिसर से सचिव सरोज सिंह ने हरी झंडी दिखाकर सारनाथ के लिए रवाना किया.इस परिभ्रमण में पांच वर्ग से दशम वर्ग के बच्चे शामिल थे. जाने के क्रम में पहला पड़ाव गहमर स्थित मां कामाख्या मंदिर रहा जहां सभी ने दर्शन कर आगे की यात्रा किया.

सारनाथ परिसर में जानकारी लेते छात्र

इनका कारवां वाराणसी के सारनाथ पहुंचा.परिभ्रमण के दौरान बस में बच्चों के साथ विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाओं द्वारा बच्चों के बीच अंताक्षरी, गायन, वादन आदि से अपनी यात्रा को रपमंचकारी व यादगार बनाया. यात्रा के क्रम में सभी शिक्षक बच्चों के साथ सहपाठी की भूमिका में नजर आए.सचिव सरोज सिंह इस शैक्षिक परिभ्रमण को कोऑर्डिनेट कर रहे थे.उन्होंने कहा कि इस तरह के शैक्षणिक परिभ्रमण न सिर्फ मनोरंजन हेतु बल्कि बच्चों को आत्मिक भावनात्मक पक्ष को एक सकारात्मक रंग रूप का आचरण प्रदान करते हैं जो उन्हें अपनी अभिरुचियों व कलात्मक सोच को सहजीवी बनाती हैं.

जैन मंदिर का दीदार करते छात्र व शिक्षक

सारनाथ पहुंचने के बाद बच्चों ने इस भूमि का सजीव स्पर्श वह स्पंदन किया. जहां गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश अपने पांच शिष्यों को दिया था. बच्चों ने कहा कि हम धन्य है जो इस पावन भूमि पर आने का हमें अवसर मिला.बच्चों ने इस दिव्य उपदेश के सम्मान में बनवाया गया उस विशाल स्तूप को भी देखा.जिसे सम्राट अशोक ने बनवाया था. इस विशाल प्रांगण को भी देखा जिसमें उस समय हजारों शिष्य गौतम बुद्ध के उपदेशों का रसपान करते थे.बच्चे यह सब देखकर मोहित वह आश्चर्यचकित थे. साथ ही इस दिव्य और अलौकिक व्यक्तित्व से प्रभावित हुए. सारनाथ में कई जैन एवं बौद्ध मंदिरों में भी बच्चे गए जहां की स्थापत्य कला को देखकर प्रभावित हुए. यात्रा के लौटते क्रम में उस दिव्य व निर्माणाधीन मंदिर में भी गए जो भगवान सदाफल जी महाराज को समर्पित है.

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