नेशनल आवाज़
राजपुर :- प्रखंड के विभिन्न गांव में पारंपरिक खेती से आधुनिक खेती की ओर मुड़े किसानों के सामने काफी चिंता का विषय बन गया है. पिछले कई वर्षों से किसान आधुनिक खेती के तहत मेंथा,मशरूम, प्याज के साथ कई अन्य फसलों का व्यापक पैमाने पर खेती कर रहे थे. क्षेत्र के बन्नी, अकोढ़ी,हरपुर, हंकारपुर, मंगराव, संगराव, भलुहा, उत्तमपुर के अलावा अन्य गांव में व्यापक पैमाने पर मेंथा की खेती की जा रही थी. किसानों को भी आर्थिक उन्नति हो रही थी. किसानों को एक उम्मीद थी कि अब आर्थिक हालात अच्छा हो जाएंगे.
बदलते मौसम एवं जलवायु परिवर्तन ने किसानों को मायूस बना दिया. वर्ष 2021 में अनियमित मानसून आने से कई एकड़ खेत पानी से डूब गए. जिनमें प्याज एवं मेंथा की खेती बर्बाद हो गया. जिन किसानों ने बटाई पर खेती लिया था. वह किसान कर्ज के बोझ से लद गए. वर्ष 2022 में भयंकर सूखे की चपेट में आने से खेत में डाला गया बिचड़ा सुख गया. किसानों के सामने एक गंभीर समस्या हो गयी. किसानों ने मेंथा का खेती तो पूरी तरह से बंद कर दिया. खेत में लगा प्याज का फसल भी बढ़ते तापमान से प्रभावित होकर खराब हो गया. समय पर मानसून की उम्मीद लिए किसानों ने धान की खेती के लिए बिचड़ा तो डाल दिया. सिंचाई के अभाव में बिचड़ा भी सुख गया.सैकड़ों एकड़ खेत परती रह गया. वर्ष 2023 में किसानों को एक नई उम्मीद थी कि बेहतर खेती कर कोई नया काम करेंगे. एक बार फिर जलवायु में हो रहे परिवर्तन ने किसानों की बेचैनी बढ़ा दी. खेतों में रबी की फसल अच्छी थी. पिछले कई सप्ताह से गेहूं की बाली निकलने के बाद अचानक मौसम में हो रहे परिवर्तन से चिंता बढ़ गयी है.किसानों ने आनन-फानन में गेहूं कटनी का काम शुरू कर दिया है. इसकी फसल भी कुछ मारी गयी है. क्षेत्र के प्रगतिशील किसान मिथिलेश पासवान, मनोज कुमार सिंह, रिंकू सिंह ने बताया कि अगर किसानों को जलवायु अनुकूल खेती के साथ सिंचाई की व्यवस्था मौजूद हो तो खेती करना अच्छा हो सकता है. फिलहाल खेती करने से अधिकतर किसान डर गए हैं. किसान पारंपरिक खेती के सहारे जैसे जैसे तैसे जीवन यापन करने में लगे हुए हैं.