कंपनी मजदूरों का कर रही शोषण : रामप्रवेश






नेशनल आवाज़/चौसा :- 11 सूत्री मांगों को लेकर प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा, चौसा (बक्सर) के बैनर तले चल रहा किसानों का आंदोलन शुक्रवार को 439वें दिन भी जारी रहा. जिसकी अध्यक्षता इंटक के प्रदेश महासचिव रामप्रवेश सिंह यादव तथा संचालन शिवजी तिवारी ने किया. मौजूद किसान वक्ताओं ने कहा कि किसान मजदूर अपनी विधि सम्मत मांग को लेकर विगत 14 माह से धरना पर बैठे है. परन्तु केन्द्र सरकार तथा बिहार सरकार दोनो मिलकर किसान मजदूर का शोषण करने मे लगे है. और अपने को किसान मजदूर का हितैशी बताने मे लगे हुए है. इन लोगो के द्वारा न तो किसान से सरोकार है और न ही मजदूर से.
इंटक प्रदेश महासचिव रामप्रवेश सिंह यादव ने कहा कि एसटीपीएल कंपनी पिछले पांच दिनों से प्रभावित किसानों पर आरोप लगा रही है कि हमारे मजदूरों को प्लांट के अंदर काम करने नहीं आने दे रहें है. उन्हें डरा धमका रहे है. जबकि प्लांट में काम करने वाले मजदूरों को बंधक बनाकर रखा जा रहा है. चार-पांच माह का मजदूरों का मजदूरी नहीं दिया जा रहा. केवल उन्हें खुराकी दी जा रही है. कंपनी और कंट्रैक्टरों के द्वारा मजदूरों का शोषण किया जा रहा है. ना ही उन्हें बोर्ड रेट से मजदूरी दी जा रही है और ना ही रैगुलर पेमेंट. ऐसे में मजदूर मौके के तालाश में थे. उन्हें एक बहाना मिला और वापस लौट गए. प्लांट अंतर्गत सही से काम कराने वाली कंपनी के अब भी लेबर कालोनी में मौजूद है.
किसान वक्ताओं ने कहा कि एडीएम की अध्यक्षता में समन्वय समिति की चार बार बैठक हो चुकी. जिसमें 11 सुत्री मांगों में एक भी मांग का न तो निष्पादन ही हुआ और न ही कोई पहल ही किया जा रहा है. बैठक के नाम पर प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा के सदस्यो को दिग्भ्रमित करने का कार्य किया जा रहा है. मोर्चा के सदस्य इस बैठक को बहिष्कृत करते हुए अपने अगले निर्णय पर मोर्चा के समन्वय समिति तथा सलाहकार समिति की बैठक कर उक्त परिस्थितियों पर विचार करके आगे की कार्रवाई करेगा. किसानों की बहुफसला,गंगा पंप नहर से सिंचित, दो स्टेट हाईवे के बिच स्थित सटे उपजाऊ कृषि भुमि, आवासीय, भुमि,एवं व्यवसायिक, भुमि का जबरन कब्जा करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. जिसके विरुद्ध दिनांक 17 अक्टूबर 2022 से ही शांतिपूर्ण धरना अनवरत जारी है. अब किसी भी सूरत में वॉटर पाईपलाईन, रेल कॉरिडोर व अतिरिक्त भूमि के लिए आवश्यक जमीन किसान नहीं देंगे.
धरना में झींगुरी राय, मनोज पांडेय, लेदा चौधरी, अनिल तिवारी, शिवदयाल सिंह, शिवमुरत राजभर, नरेन्द्र तिवारी, अबुलैस खॉ, जगदीश साह, मुन्ना ठाकुर, गोरख नाथ पांडेय, जितेंद्र राय, नन्दलाल सिंह, जयमंगल पांडेय, दीनानाथराजभर, दीनानाथ चौधरी, श्यामलाल चौधरी, सियाराम सिंह यादव, अनिल दुबे, नन्द कुमार शर्मा, बीरेन्द्र सिंह कुशवाहा, भैरव राय, सीताराम गोंड, रामाकांत राजभर, गोविंद साह, केशव चौधरी, उपेंद्र पासवान, लक्ष्मण चौधरी, छेदी राजभर, नन्दकिशोर चौधरी आदि सैकड़ों किसान मजदूर शामिल रहे.

