सीता कुशलव रामायण के लिए अंतर्राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार से सम्मानित हुए प्रोफेसर ललन
नेशनल आवाज़/ पटना :- हिंदी साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले सासाराम निवासी प्रोफेसर ललन प्रसाद सिंह को अंतर्राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. पटना के कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स सभागार में आयोजित डॉ राम प्रसाद सिंह अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार समारोह में इन्हें नवाजा गया. जिसका उद्घाटन केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी,नेपाल के पूर्व गृह मंत्री भरत साह,मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के कुलपति शशि प्रताप शाही,पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना के कुलपति प्रो. आर. के. सिंह ने द्वीप प्रज्ज्वलित कर संयुक्त रुप से किया. आगत अतिथियों का स्वागत एवं संचालन मगही अकादमी गया के सचिव डॉ.उपेन्द्र नाथ वर्मा एवं अध्यक्षता डॉ.भूपेन्द्र नाथ वर्मा ने की. कार्यक्रम का आरंभ डॉ. रामप्रसाद सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया.इस अवसर पर हिंदी साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए डॉ.ललन प्रसाद सिंह मगही साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए ओम प्रकाश एवं मगही साहित्य के उत्थान में योगदान के लिए भुनेश्वर महतो को पुरस्कृत किया गया.
डॉक्टर ललन प्रसाद सिंह को यह पुरस्कार सीता कुशलव रामायण के लिए दी गई. जिन्हें 11 हजार रुपए नगद के साथ गौतम बुद्ध की स्मृति चिन्ह वस्त्र एवं प्रमाण पत्र दिए गए.विदित हो कि डॉक्टर ललन प्रसाद सिंह ए एस कॉलेज बिक्रमगंज के हिंदी विभाग में प्रोफेसर एवं विभाग के अध्यक्ष रहे हैं.इन्होंने हिंदी के अलावा अंग्रेजी में भी कई किताबों को लिखा है. इन्हें सम्मानित होने पर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ गोवर्धन सिंह, पूर्व मुखिया मकरध्वज सिंह विद्रोही, पत्रकार जितेंद्र पुष्प, प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह, सिंहासन सिंह, डॉक्टर हरेराम सिंह, वैभव कुमार सिंह, गौरव कुमार सिंह ,डॉक्टर एसपी राय के अलावा अन्य बुद्धिजीवियों ने बधाई दी है.
मातृ भाषा के प्रेम से लोक भाषा का होगा विकास : मांझी
जीतन राम मांझी ने कहा कि जब- तक अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेम नहीं होगा तब – तक लोकभाषा का विकास संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि करीब 20 वर्षों से बिहार का मुख्यमंत्री मगही भाषी के हैं. फिर भी उन्होंने संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की ओर पहल नहीं की.जब तक मगही भाषा को राजनीतिक सपोर्ट नहीं मिलेगा.तब- तक इसका विकास संभव नहीं है.मुख्य अतिथि भरत साह ने कहा कि जिस तरह से भारत के मगध में मगही भाषा के विकास के लिए आंदोलन चल रहा है.उसी प्रकार हमलोग नेपाल में चला रहे हैं.
मगही का क्षेत्र काफी व्यापक है. मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. शाही ने कहा कि जहां साहित्य का क्षेत्र काफी ठंडा दिख रहा है.वहां ऐसा कार्यक्रम साहित्यकारों को ऊर्जा प्रदान करने वाला है.इस मौके पर मगही के पूर्व अध्यक्ष उमाशंकर शर्मा, उपेन्द्र प्रसाद, पारसनाथ सिंह,डा. राम सिंहासन सिंह,पवन तनय, सुधांशु शेखर, महेंद्र प्रसाद देहाती,डा.अश्विनी मेहता ,किरण कुमारी, पूजा कुमारी,शंभू शरण सत्यार्थी,के. के.भट्ठा, रजनी कान्त ने भी डा. राम प्रसाद सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला.