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बक्सर के लाल ओमप्रकाश बने एसडीएम कड़ी चुनौती के बीच परीक्षा में पायी सफलता

पिता के अधूरे सपने को किया पूरा मां ने दिखाई राह पत्नी ने किया सहयोग

नेशनल आवाज़/बक्सर :- ” लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, असफलता एक चुनौती है ,इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो” .यह पंक्तियां आज सच साबित कर दिखाया है जिले के सारिमपुर मोहल्ले के रहने वाले ओमप्रकाश लाल ने. इस बार 67 वीं बीपीएससी की परीक्षा में इन्होंने 17वां रैंक हासिल कर एसडीएम पद के लिए चयन कर लिए गए है. इनकी कहानी भी काफी संघर्ष भरी रही है.

 

यह परीक्षा इन्होंने पथ निर्माण विभाग में असिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर के पद पर रहते हुए निकाला है. लेकिन अपने जीवन काल में कभी इन्होंने हार नहीं माना है. अपने जीवन संघर्ष के बारे में बताते हुए कहा कि प्रारंभिक पढ़ाई के बाद ही 14 वर्ष की अवस्था में पिता मकसूदन प्रसाद केशरी इस दुनिया को छोड़कर चल बसे. हालांकि उनकी इच्छा थी की वह पढ़कर कोई बड़ा ऑफिसर बने. वर्ष 1995 में एमपी हाई स्कूल बक्सर से मैट्रिक की परीक्षा पास कर इंटर की पढ़ाई एम वी कॉलेज बक्सर से किया. इग्नू से बीएससी की पढ़ाई पूरा किया. पढ़ाई करने के बाद भी इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. घर पर ही कड़ी मेहनत से पढ़ाई कर अपनी सफलता के राह को चुनने में लगे हुए थे. इस दौरान उन्होंने चार बार पीसीएस की परीक्षा भी निकाला जो अंतिम दौर में असफल हो गये. फिर भी इन्होंने अपने पिता के सपने को टूटने नहीं दिया. लगातार अध्ययन करते रहे.

 

2012 में यूपीएससी में भी पायी सफलता

बिना किसी का सहयोग लिए मेहनत के बल पर इन्होंने वर्ष 2012 में देश के सबसे बड़े प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा यूपीएससी में भी सफलता पाई थी. प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा में सफल होने के बाद इंटरव्यू की परीक्षा में असफल हो गए. इस असफलता ने अंदर से तोड़ने का प्रयास किया. फिर भी हार नहीं माने. वर्ष 2013 में बीपीएससी में भी इन्होंने सफलता पाई थी. परंतु इंटरव्यू में असफल हो गए.स्वयं पढ़ाई में लगे रहे.

 

परीक्षा की तैयारी में पत्नी का मिला साथ  

यह अपने परिवार में तीन बहन इकलौते भाई है. जिसकी पूरी जिम्मेवारी इन्हीं के कंधे पर थी. दो बड़ी बहन एवं एक छोटी बहन की जिम्मेदारियो को इन्होंने बखूबी निभाते हुए परीक्षा के दम पर परिवार के आर्थिक हालात को भी पटरी पर लाने के लिए कोचिंग में पढ़ाने का काम किया. जिनके मार्गदर्शन में दर्जनों छात्र इनकम टैक्स, सेल टैक्स, एसएससी सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर आज कई पदों पर कार्यरत है. तब तक पथ निर्माण विभाग में असिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर के पद पर चयनित होने के बाद भोजपुर अंचल में कार्य करते हुए अपनी परीक्षा में लगे रहे. तब तक 23 जून 2023 में इनकी मां लीलावती देवी ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया. एक बार फिर यह पूरी तरह से अकेले हो गए. फिर भी उनकी पत्नी पूजा कुमारी ने इनका भरपूर सहयोग.

 

कोचिंग पढ़ाकर 17 वर्षो में पायी सफलता 

 अपनी कड़ी मेहनत एवं लगन के बल पर पीछे ना मुड़कर देखने वाले ओमप्रकाश लाल की शादी 2015 पूजा कुमारी से होने के बाद इनकी 7 वर्षीय बेटी आध्या कुमारी एवं 5 वर्षीय बेटा कान्हा है. इन बच्चों की परवरिश के साथ पढ़ाई करते हुए इस बार की परीक्षा में सफलता हासिल कर एसडीएम पद के लिए चयनित कर लिए गए हैं. जिनकी सफलता की कहानी अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है. जो छात्र या तो पढ़ाई छोड़कर हमेशा के लिए कहीं दूसरा काम ढूंढ लेते हैं, या फिर उसे हमेशा के लिए अलविदा कह देते हैं. इन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में कभी असफल होने पर निराश नहीं होना चाहिए.

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