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क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
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राज्यपाल एवं सरकार में बढ़ा टकराव

राज्यपाल ने राज्य प्रशासन के आदेश को किया दरकिनार

नेशनल आवाज़ :- बिहार में इन दिनों शिक्षा में सुधार को लेकर के.के पाठक काफी सख्त नजर आ रहे हैं. स्कूलों के बाद कॉलेजों की शिक्षण व्यवस्था में सुधार के लिए भी फरमान जारी कर दिया है. इस आदेश के बाद राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर एवं राज्य सरकार के बीच टकराव बढ़ता दिख रहा है.सुधार अभियान के तहत शिक्षा विभाग ने निरीक्षण के दौरान बड़ी कार्रवाई करते हुए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति शैलेंद्र चतुर्वेदी और प्रोफेसर रविंद्र कुमार के वेतन पर रोक लगा दी थी.

 

 

 

एक दिन बाद, गवर्नर के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू ने संबंधित बैंक को एक पत्र भेजा जिसमें तत्काल प्रभाव से दोनों अधिकारियों के खातों को डीफ्रीज़ करने का निर्देश दिया गया. शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में चोंग्थू ने कहा, “बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 की धारा 54 के तहत, राज्य सरकार के पास विश्वविद्यालयों का ऑडिट करने का अधिकार है, लेकिन आपके द्वारा दोनों पदाधिकारियों की वित्तीय शक्तियों और बैंक खातों को फ्रीज करना मनमाना और अधिकार क्षेत्र से परे है. आपका यह कृत्य विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला प्रतीत होता है और आपने चांसलर की शक्तियों का अतिक्रमण किया है.”

राजनीतिक गलियारों में शुरू हुई चर्चा

इसमें कहा गया है कि चांसलर (गवर्नर) ने आदेश दिया है कि ‘इन आदेशों को वापस लिया जा सकता है और भविष्य में इस प्रकार के अनुचित कृत्यों से बचा जा सकता है.’ इस घटनाक्रम के बाद सियासी घमासान शुरू हो गया है. सत्तारूढ़ गठबंधन ने “राज्यपाल के हस्तक्षेप” की आलोचना की है. विपक्षी भाजपा राजभवन के समर्थन में आ गई है और राज्य में “शिक्षा प्रणाली के पतन” के लिए नीतीश कुमार सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

 

राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘राज्य में महागठबंधन सरकार उच्च शिक्षा सहित शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने की कोशिश कर रही है. राजभवन को निर्वाचित सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और इस तरह के टकराव से बचना चाहिए.’ बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, ‘चूंकि नीतीश कुमार राज्य की शिक्षा प्रणाली में सुधार करने में बुरी तरह विफल रहे हैं, इसलिए वह अब राज्यपाल के साथ टकराव की स्थिति पैदा कर रहे हैं जो विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं. सीएम विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की स्वायत्तता की अनदेखी कर रहे हैं.’

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