Slide
जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो : गौतम बुद्ध
Slide
एक अच्छी किताब सौ अच्छे दोस्तों के बराबर होती है,लेकिन एक अच्छा दोस्त पूरे पुस्तकालय के बराबर होता है ।
Slide
अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
Slide

सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

Slide
क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
previous arrow
next arrow
Kisan protest

समय पर मुआवजा नहीं मिलने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने जताया विरोध कंपनी एवं प्रशासनिक अधिकारियों से मांगा जवाब

नेशनल आवाज़/ बक्सर :- जिला मुख्यालय में संयुक्त किसान मोर्चा बिहार के तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया.बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि निर्माणाधीन चौसा थर्मल पावर हेतु भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों ने अपने वाजिब मुआवजा एवं राहत की मांगों को लेकर लगातार संघर्षरत हैं.जिला समाहर्ता बक्सर और आरक्षी अधीक्षक बक्सर के निर्देशानुसार कंपनी के सीएफओ,जिला प्रशासन की ओर से बक्सर एसडीएम, बीडीओ (चौसा)और एसडीपीओ, बक्सर एवं थाना प्रभारी बक्सर (मुफस्सिल) तथा किसान प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक में किसानों ने अपने न्याय संगत और विधि समत  11 सूत्री मांगों को रखा.बहुत सारे मुद्दों पर सबकी सहमति बनी और 4 से 6 सप्ताह के अंदर हर हाल में उसे पूरा करने का लिखित आश्वासन भी दिया गया.

5 महीने तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर 9 मार्च 2024 को जिला पदाधिकारी बक्सर से मिलकर किसानों ने अपनी व्यथा सुनाई.इस बीच 20 फरवरी 2024 को कंपनी ने चौसा के महदेवा में किसानों की रैयती जमीन को सरकारी भूमि बता कर जबरदस्ती पाइपलाईन का काम शुरू कर दिया.जिसका किसानों ने विरोध किया. कंपनी ने 16 जनवरी 2024 को पटना उच्च न्यायालय में एक झूठा मुकदमा दर्ज कराया. जिसमें आरोप लगाया कि किसान हमारे गेट को बंद  कर दिया है. जिसके चलते हमारे वर्कर्स कंपनी के भीतर बंद है.पटना उच्च न्यायालय ने बक्सर जिला प्रशासन से जांच कार्रवाई तो जांच मे झूठा साबित हुआ.बाद में कंपनी ने उच्च न्यायालय में गलती मानते  हुए माफी मांगी.

भारतीय किसान यूनियन टिकट के बिहार प्रभारी दिनेश कुमार ने कहा की आश्चर्य है कि पटना उच्च न्यायालय के समक्ष कंपनी ने जिस गलत मुकदमा करने के लिए माफी मांगी थी. उन्ही झूठे आरोपों को लेकर आंदोलनरत किसान के जेल जाने पर भ्रष्ट प्रशासनिक पदाधिकारियों के कहने पर वेल का विरोध करने कंपनी कोर्ट में पहुंच गई.किसानो पर खर्च करने के बदले राशि का दुरूपयोग कर कम्पनी का पैसा वकील पर खर्च कर रही है.

 कंपनी को इससे कोई लेना-देना नहीं था. कंपनी का पैसा पब्लिक मणी है और वह पब्लिक के टैक्स से आती है.कंपनी के आर एंड आर की राशि का बड़े पैमाने पर घोटाला हो रहा है.साथ ही कैग रिपोर्ट में भी भूमि अधिग्रहण में राशि  की गड़बड़ी की रिपोर्ट है.चौसा स्टेशन से प्लांट की दूरी मात्र 3 किलोमीटर है. फिर थर्मल पावर के लिए रेलवे कॉरिडोर को 20 किलोमीटर लंबा करने  का कोई औचित्य नहीं है.

किसान जमीन को बर्बाद करने की नीति का विरोध कर रहे हैं. उसी प्रकार वाटर पाईप लाइन के नाम पर भी बेमतलब उर्वर कृषि भूमि को  बर्बाद किया जा रहा है.  जिला प्रशासन और कंपनी के भ्रष्ट अफसर मिलकर आरएनआर की राशि की लूट मचाने में लगे हैं. किसान अपने हक की मांग नहीं करें. इसीलिए कम्पनी द्वारा किसानों पर लगातार जुल्म हो रहा है. जिसका जीता जागता उदाहरण 20 मार्च 2024 की बनारपुर की घटना है.

भारत सरकार के ऊर्जा सचिव 12 अगस्त को चौसा आ रहे हैं.विलंब का कारण जानना चाहेंगे. उन्हें इसका मूल्यांकन करना चाहिए. इस परियोजना मे विलंब क्यों हो रहा है? हम किसान प्रतिनिधि उनसे मिलकर किसानों का पक्ष रखना चाहते हैं कि विलंब का असली कारण किसान  नही बल्कि कम्पनी का प्रबंधन है. प्रेस सम्मेलन में किसान सभा के जिला अध्यक्ष तेज नारायण सिंह और जिला पार्षद केदार सिंह बनारपुर के किसान नेता सुरेंद्र सिंह ने भी अपने विचार को रखा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button