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जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो : गौतम बुद्ध
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एक अच्छी किताब सौ अच्छे दोस्तों के बराबर होती है,लेकिन एक अच्छा दोस्त पूरे पुस्तकालय के बराबर होता है ।
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अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
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सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

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क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
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राजकीय समारोह में सम्मानित हुए शहीदों के परिजन

डुमराँव के 21 सुर वीरों ने भारत छोड़ो आंदोलन में दिया था शहादत

नेशनल आवाज़

बक्सर :- डुमरांव में 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बिल्कुल फूंका गया था.जिसमें क्रांतिकारियों ने थाने पर पहुंचकर तिरंगा झंडा फहरा दिया था. ब्रिटिश पुलिस ने इन क्रांतिकारियों को मौत के नींद सुला दिया था. जिनकी शहादत से आज पूरा डुमराँव अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता है. यहां के शहीद बहुत दिनों तक गुमनाम रहे.बुधवार 16 अगस्त को राजकीय समारोह के तहत इन शहीदों को नमन किया गया. डुमराव अनुमंडल अंतर्गत शहीद स्मारक पार्क में आयोजित शहादत दिवस, “राजकीय समारोह” में मुख्य अतिथि जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल,

विशिष्ट अतिथि माननीय सदस्य विधान सभा डुमरांव अजीत कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी डुमरांव, प्रखंड विकास पदाधिकारी डुमराव, अंचलाधिकारी डुमराव एवं अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारीगण सम्मिलित हुए.

 

 

21 शहीदों को दी गयी सलामी
स्वतंत्रता आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले 21 शहीदों को प्रशासन के तरफ से सलामी दी गई. पुष्प अर्पित कर इन्हें नमन किया गया.इन शहीदों में शहीद कपिलमुनी कहार, शहीद गोपाल जी कमकर, शहीद रामदास सोनार, शहीद रामदास लोहार, शहीद भीरवी लाल साह, शहीद विहारी लाल, शहीद प्रदुमन लाल.

 

शहीद अब्दुल रहीम नालबंद, शहीद गोधन राम, शहीद सुखारी लोहार, शहीद भिखारी कमकर, शहीद रामेश्वर पांडे, शहीद चंगन अहीर, शहीद तपेश्वर पाण्डेय, शहीद विश्वनाथ अहीर, शहीद शिवपूजन नट, शहीद दुलार लोहार, शहीद शिवपूजन राम, शहीद साधुशरण अहीर, शहीद रामदौर अहीर एवं शहीद बालेश्वर दुबे के याद में यह दिवस मनाया गया.

 

डीएम अंशुल अग्रवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह से देश की आजादी में इन वीर सपूतों ने प्राणों की आहुति देकर हमें आजादी दिलाई. हमें आज भी इनके पदचिन्हों पर चलकर आगे बढ़ने की जरूरत है. सभी युवाओं से आह्वान किया कि अपनी क्षमता को पहचानते हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता बढ़ाऐ.

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