उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ चार दिवसीय छठ महा पर्व






नेशनल आवाज़/बक्सर :- जिले के राजपुर प्रखंड के विभिन्न गांव में चार दिवसीय छठ पूजा सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने नदी, तालाब और जलाशयों के किनारे छठ घाटों पर कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया.

छठ व्रतियों ने सूर्य देव को जल एवं दूध अर्पित कर प्रकृति के इस महापर्व पर प्राकृतिक फलों से सजे मौसमी फल, गन्ना, नारियल, ठेकुआ एवं अन्य व्यंजन बांस से निर्मित सुप में रखी अन्य वस्तुएं भी सूर्य और छठी माई को अर्पित की गयी.छठ की पारंपरिक गीतों को गाते हुए श्रद्धालुओं ने 36 घंटे का उपवास प्रसाद ग्रहण कर तोड़ा. क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक सूर्य मंदिर देवढिया में भी क्षेत्र के अलावा उत्तर प्रदेश,बिहार के कैमूर,रोहतास एवं अन्य जिले से आये छठ व्रतियों ने मन्नतें पूरी करने के लिए छठ किया.

जल स्रोतों का बढ़ा महत्व
इस बार क्षेत्र के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में नहर में पानी नहीं होने से जल स्रोत वाले तालाबों का महत्व काफी बढ़ गया था. जिन जल स्रोतों के पास लोग पहले नहीं जाते थे. उन्हें साफ सफाई कर वहां छठ घाट बनाकर छठ व्रतियों ने उत्सवी माहौल में पूजा किया.

बारुपुर काली मंदिर के समीप प्राकृतिक रूप से बने पोखर में सुभासपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष उदय नारायण राजभर एवं महिला मंच के प्रदेश अध्यक्ष अंजली राजभर ने डूबते एवं उगते सूर्य को अर्घ्य दिया.ग्रामीणों की मदद से इस तालाब को बेहतरीन तरीके से सजाया गया था. उत्तमपुर के प्राचीन पोखरे पर प्राकृतिक श्रृंगार से सजे हरे भरे पेड़ पौधों के बीच रंगीन बतियो से सजाकर इसे आकर्षक बना दिया गया था. ग्रामीणों का कहना था कि छठ पूजा के अवसर पर ही जल स्रोत का महत्व समझ में आता है.पूजा के साथ यह पोखरा लगभग सैकड़ो एकड़ खेत की सिंचाई कर किसानों के लिए जीवन दायनी भी है.ऐसे में इस तरह के तालाब एवं पोखरों का होना जरूरी है.

भव्य महा आरती का हुआ आयोजन

मनोहरपुर डाक बंगला के पास नहर के समीप छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के उपरांत संध्या महा आरती का आयोजन किया गया. जिसमें छठ पूजा समिति के सदस्य रवि कुमार, छोटू पांडेय के अलावा सैकड़ो की तादाद महिला एवं पुरुष मौजूद रहे.छठ व्रतियों ने बताया कि महा आरती से इस वातावरण को शुद्ध कर भगवान भास्कर से सुख एवं समृद्धि की कामना की गयी.

