देश में लागू हुआ CAA जानिए किसे मिलेगी देश की नागरिकता
नेशनल आवाज़ :- भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर पिछले कई साल से काफी विवाद रहा है. आखिरकार सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले इस देश में कानूनी रूप से लागू कर दिया है. 11 मार्च 2024 भारत के लिए एक नया अध्याय लिख दिया है. इस क़ानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय को नागरिकता दी जाएगी.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा, ”मोदी सरकार ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 की अधिसूचना जारी कर दी है इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए अल्पसंख्यकों को यहां की नागरिकता मिल जाएगी.”
उन्होंने लिखा, “इस अधिसूचना के ज़रिये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है इन देशों में रहने वाले सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को संविधान निर्माताओं की ओर से किए गए वादे को पूरा किया है.”
नागरिकता अधिनियम, 1955 भारतीय नागरिकता से जुड़ा एक विस्तृत क़ानून है. इसमें बताया गया है कि किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता कैसे दी जा सकती है और भारतीय नागरिक होने के लिए ज़रूरी शर्तें क्या हैं.
इस अधिनियम में पहले भी कई बार संशोधन हो चुका है. 2019 में एक बार केंद्र की बीजेपी सरकार इस क़ानून में संशोधन के लिए विधेयक लाई थी, जिसे नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 कहा गया.संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद जब इस विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगी तो यह क़ानून बन गया.अब 11 मार्च, 2024 को इस क़ानून को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की गई है.
इस क़ानून में पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.
क़ानून के मुताबिक़ 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को ही नागरिकता मिल पाएगी.नागरिकता (संशोधन) क़ानून, 2019 से पहले किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था, लेकिन अब पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समय अवधि 11 साल से घटाकर 6 साल कर दी गई है.
अब से पहले भारत में अवैध तरीके से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती थी और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने का प्रावधान था, लेकिन अब ऐसे लोगों को नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 के तहत देखा जाएगा.
बीजेपी ने पहली बार 2016 में नागरिकता कानून में संशोधन के लिए संसद में विधेयक पेश किया था. उस वक्त इस विधेयक को लोकसभा ने तो पास कर दिया था, लेकिन राज्यसभा से उस वक्त यह पास नहीं हो पाया था. देश में भारी विरोध के कारण उस समय यह लागू नहीं हो पाया था.