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अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
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सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

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क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
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Opration sindoor : डीएम एसपी ने शहीद सुनील को दी सलामी,सैन्य राजकीय सम्मान के साथ दी गयी श्रद्धांजलि देशभक्ति नारों से गूंजा गांव ,जगह-जगह ग्रामीणों ने की पुष्प वर्षा

नेशनल आवाज़/बक्सर :-  जिले के चौसा नरबतपुर गांव निवासी शहीद सुनील यादव का शव उनके पैतृक गांव पहुंचते ही देशभक्ति नारों से गुंजायमान हो गया. बक्सर से इनका काफिला आगे की तरफ बढ़ते ही हजारों की तादाद में रोड पर खड़े ग्रामीण व युवको ने शहीद सुनील यादव अमर रहे..नारों के साथ पुष्प की वर्षा कर इन्हें सम्मान दिया. उनके अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ो की तादाद में दरवाजे पर भी काफी भीड़ जुटी हुई थी.

पुष्प चक्र चढ़ाते डीएम

इनके शव के साथ आए साथी जवानों ने जैसे ही उनके शव को दरवाजे पर लेकर पहुंचे. इनको देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी.जिन्हें परंपरा के तहत गॉड आफ ऑनर दिया गया. बक्सर डीएम डॉक्टर विद्यानंद सिंह एवं एसपी शुभम आर्य ने इन्हें पुष्प चक्र के साथ सलामी दी.इनके साथ बिहार सरकार के दर्जनों पदाधिकारी एवं पुलिस के जवान भी मौजूद रहे.विदित हो कि भारतीय थल सेना के जवान सुनील यादव ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जम्मू कश्मीर के राजौरी में अपने ड्यूटी पर तैनात थे. 9 मई की रात पाकिस्तान ड्रोन अटैक में घायल हो गए थे.

श्रद्धांजलि देते एसपी

जिसके बाद उनका इलाज स्थानीय सेना के अस्पताल में चल रहा था.सीजफायर के बाद 15 मई को उन्हें राजौरी से उधमपुर सेवा अस्पताल में एयरलिफ्ट किया गया था.इलाज के दौरान यह सदा के लिए अमर हो गए. सुनील सिंह नरबतपुर निवासी जनार्दन सिंह के तीन पुत्रों में बड़े थे. माता पावधारी देवी सेवानिवृत शिक्षिका है.यह अपने पीछे माता-पिता के अलावे पत्नी सुजाता देवी, पुत्र सौरव कुमार सिंह एवं कृष के अलावे दो भाई में रामदीन तथा चंदन सिंह को छोड़ गए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि चंदन भी आर्मी का जवान है तथा पहलगाम हमले के बाद चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वह भी अपने भाई के साथ जम्मू कश्मीर की सीमा पर पाकिस्तान से मुकाबला कर रहा था.

गॉड ऑफ ऑनर देते जवान

जिस वक्त सुनील ड्रोन हमले का शिकार हुआ. उस वक्त चंदन की तैनाती उससे मात्र 7 किलोमीटर दूर थी. सुनील की शहादत से मायूस ग्रामीणों ने बताया कि यह बहुत ही साहसी एवं होनहार जवान था.जिसकी बहादुरी ने दुश्मनों को करारा जवाब दिया. इतना गंभीर जख्म होने के बाद भी वह कई दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद अंतिम सांस ली है. यह हमारे गांव वासियों के लिए गर्व की बात है. इनका शहादत कई युगों तक याद रहेगा.

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