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जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो : गौतम बुद्ध
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एक अच्छी किताब सौ अच्छे दोस्तों के बराबर होती है,लेकिन एक अच्छा दोस्त पूरे पुस्तकालय के बराबर होता है ।
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अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनाये
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सबसे महान जीत प्यार की है, यह हमेशा के लिए दिलों को जीतता है ।

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क्रांति की धार विचारों के शान पर तेज होती है । भगत सिंह
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शिव गुरु महोत्सव का हुआ आयोजन ,भक्ति रस में डूबे श्रोता

नेशनल आवाज़/ बक्सर :-  चक्रहँसी खेल मैदान पर रविवार को शिव गुरु महोत्सव का आयोजन किया गया. इस आध्यात्मिक आयोजन के मौके पर जिला शिव कार्य समिति के अध्यक्ष सतीश जी ने कहा कि शिव का गुरु स्वरूप ग्रंथों में ‘वंदे विद्यातीर्थ महेश्वरम्, ‘शम्भवे गुरुवे नमः’-‘गुरूणां गुरवे नमः’ तथा ‘तुम त्रिभुवन गुरु वेद बखाना’ की पंक्तियों से प्रदीप्त है यानी महेश्वर को प्रथम गुरु एवं आदिगुरु कहा गया है.

किंतु केवल वैचारिक तल पर ही. शिव के विभिन्न स्वरूपों की पूजा का क्रियात्मक पक्ष दृष्टिगोचर है लेकिन उनके गुरु स्वरूप से यथार्थ में जुड़ाव की व्याप्ति नहीं है. इस कालखंड में पहली बार साहब श्री हरिंद्रानंद जी शिव के गुरु स्वरूप से जुड़ाव के लिए तीन सूत्र दिए हैं. जिसमें प्रथम सूत्र अपने गुरु शिव से दया की याचना करना है कि “हे शिव आप मेरे गुरु है. मैं आपका शिष्य हूं मुझे शिष्य पर दया कर दीजिए ” द्वितीय सूत्र दूसरों के साथ शिव गुरु की चर्चा करना और तृतीय सूत्र अपने गुरु शिव को प्रणाम करना है. इस आयोजन में कृष्ण कुमार यादव, श्रीभगवान चौधरी, जितेंद्र कुमार, अशोक केसरी, राजेश गुप्ता, सोनू गुप्ता, मोतीलाल, शमशेर बहादुर सिंह, रमाशंकर चौधरी, नथुनी यादव, आशा देवी, गीता देवी, राम अवध चौधरी, चंदन कुमार, सूबेदार साहब, राजू प्रसाद, उमेश जी का सराहनीय योगदान रहा.

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