बक्सर में लिट्टी चोखा मेला के साथ समाप्त हुआ पंचकोशी मेला
नेशनल आवाज़/ बक्सर :- जिले में अपनी ऐतिहासिक एवं पौराणिक कथाओं में विख्यात बिहार के मशहूर लिट्टी चोखा मेला अथार्त पंचकोशी मेला आज रविवार को समाप्त हो गया. बक्सर की पहचान बिहार के अलावा अन्य राज्यों में भी यहां के लिट्टी चोखा एवं पंचकोसी परिक्रमा को लेकर एक अलग पहचान है. जहां प्रत्येक वर्ष नवंबर में यह पंचकोशी मेले का आयोजन किया जाता है, जो 5 दिनों तक पांच कोस की यात्रा कर पांच अलग-अलग प्रकार के भोग लगाने की परंपरा रही है.
एक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम के यहां आने के बाद इस मेले की शुरुआत हुई थी. फिर भी आज इस आधुनिकता के दौर में इसकी एक अलग पहचान बनी हुई है. 20 नवंबर से शुरू इस मेले के पहले दिन अहिरौली, दूसरे दिन नदांव, तीसरे दिन भभुअर, चौथे दिन बड़का नुआंव एवं पांचवें दिन चरित्रवन में लिट्टी चोखा बनाकर खाया जाता है. इस मेले की परिक्रमा में शामिल लोग इन पांचो स्थान पर जाते हैं, जो वैदिक पुराणों के अनुसार प्रसाद ग्रहण करते हैं.
एक मान्यता के अनुसार श्रीराम ने ताड़का का वध किया था.उस समय ताड़का ने कहा था कि मैंने कौन सा दोष किया था. जिसको लेकर राम ने नारी पर हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए इन पांचो जगह पर यात्रा कर पांच ऋषियों के आश्रम में गए और आशीर्वाद प्राप्त किए थे. यह परंपरा सिर्फ बक्सर जिले ही नहीं बल्कि इसके निकटवर्ती उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी आज मनायी जाती है.जहां लोग हजारों की संख्या में पहुंचकर जो पंचकोशी में लेकर अंतिम दिन घरों में लिट्टी चोखा बना कर लोग ग्रहण करते हैं.